वित्त अधिनियम 2022 में केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए क्रिप्टो करेंसी (Cryptocurrency), NFT जैसे वर्चुअल डिजिटल एसेट को नई श्रेणी में शामिल किया है। इस फैसले से फर्क ये पड़ेगा की अब इन प्लेटफार्म के जरिये निवेश करने वाले भारतीयों को अपनी आय पर 30% टैक्स देना होगा। ये नियम कुछ कुछ लाटरी आदि जैसे इनाम जीतने पर मिलने वाली राशि पर लगने वाले टैक्स के समान है।
केंद्र द्वारा लागू ये नियम 1 अप्रैल 2022 के बाद से हुए लेनदेन पर लागू किये जाएंगे। हालाँकि बजट 2022 वित्त वर्ष 2021-22 को लेकर शांत दिखाई पड़ता है। इसके अलावा इस बात को लेकर भी मसला है की संबंधित वर्ष के लिए टैक्स का भुगतान करे तो करें कैसे। इस मसले को लेकर टैक्स एक्सपर्ट्स को सुने तो उनके अनुसार वित्त वर्ष 2021-22 में हुए क्रिप्टो (Crypto) लेनदेन के लिए भी बजट 2022 में भी 30% टैक्स का भुगतान किया जाना चाहिए ताकि भविष्य में संभावित कानूनी पचड़े से बचा जा सकें।
वैसे अमेरिका और ब्रिटैन जैसे कई देशो में क्रिप्टो करेंसी (Cryptocurrency) के जरिये हुई आय को एसेट माना जाता है और इसी के चलते उससे हुई आय पर कैप्टिल गेन टैक्स(Capital Gain Tax) लगाया जाता है। ऐसे में देश में भी संभवतः ऐसा ही विचार रखकर क्रिप्टो (Cryptocurrency) के जरिये होने वाली कमाई पर ये टैक्स लगाया गया है।
क्रिप्टो करेंसी (Cryptocurrency)से होने वाली इनकम पर स्टैण्डर्ड टैक्स नियमो के अनुसार टैक्स लगाया जा सकता है और इसी तरह से क्रिप्टो (Cryptocurrency) की होल्डिंग अवधि के आधार पर उससे हुए मुनाफा या घाटा (36 महीने या उससे कम ) या लॉन्ग टर्म (36 महीने से अधिक) श्रेणी में एनलिस्ट किया जा सकता है। लॉन्ग टर्म गेन (Long Term Gain) 20 फीसदी टैक्स के लिए उपयुक्त है जबकि शार्ट टर्म गेन (Short Term Gain) पर सामान्य रूप से लागू स्लैब रेट के हिसाब से टैक्स लगाया जा सकता है।
आप क्या करें ? यदि आपकी क्रिप्टो (Crypto) से आमदनी हुई है और वो कानून द्वारा घोषित दिन से पहले की गई है तो इस संबंध में आप किसी विशेषज्ञ की राय लें। कानून क्यों कि एक अप्रैल 2022 से लागू होता है तो निवेशक अपने हिसाब से इसका जिक्र करने को लेकर स्वतंत्र रह सकता है लेकिन अगर इस पर आपने 30 फीसदी टैक्स का भुगतान नहीं किया तो फिर आप पर क़ानूनी कार्रवाई होने की आशंका बनी रहेगी।