इसी साल जून की बात है। भारत के विदेश सचिव हर्ष वी शृंगला ने यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी में कहा कि कुछ देश अपने राजनीतिक और सिक्योरिटी जैसे उद्देश्य पाने के लिए साइबर स्पेस की विशेषज्ञता का फायदा उठा रहे हैं।
'साइबर अटैक' वाक्यांश का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों में इंटरनेट के माध्यम से किये जाने वाले हमलों को बताने के लिये किया जाता है।
इनमें कंप्यूटर वायरस जैसे साधनों के माध्यम से कंप्यूटर नेटवर्क में जान-बूझकर बड़े पैमाने पर किया गया व्यवधान शामिल है,
विशेष रूप से इंटरनेट से जुड़े किसी निजी कंप्यूटर में। साइबर अटैक को किसी कंप्यूटर अपराध के रूप में और अधिक सामान्य तरीके से इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है…वास्तविक दुनिया के बुनियादी ढाँचे, संपत्ति तथा किसी के जीवन को हानि पहुँचाए बिना किसी कंप्यूटर नेटवर्क को लक्षित कर उसे क्षति पहुँचाना। इसे हैकिंग भी कहा जाता है।
हैकिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें हैकिंग करने वाला किसी अन्य व्यक्ति की जानकारी को बिना उसकी इजाज़त के चोरी करता है। ऐसा करने के लिये वह उस व्यक्ति की निजी जानकारियों में सेंध लगाकर उन्हें हैक करता है। हैकिंग को गैरकानूनी माना गया है, लेकिन कई बार हैकिंग अच्छे काम के लिये भी की जाती है। इसके माध्यम से कई प्रकार के अपराध साइबर अपराधियों द्वारा किये जाते हैं।
ईरान की सबसे सुरक्षित जगहों में से एक नतांज है, जहां ईरान का परमाणु केंद्र है। इसी साल अप्रैल में साइबर हमला हुआ और ईरान के पूरे न्यूक्लियर नेटवर्क को ठप्प कर दिया गया। पहली बार साइबर हमले के जरिए विस्फोट कराया गया, जिससे पूरा न्यूक्लियर प्लांट अंधेरे में डूब गया। इसके पीछे अमेरिका की CIA और इजराइल के मोसाद का हाथ होने की बात कही गई। ईरान ने कहा कि हम इसका बदला लेंगे।
4 जुलाई को अमेरिका अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है। उसी दिन फ्लोरिडी की एक IT फर्म Kaseya पर साइबर हमला हुआ। हैकर्स ने 592 करोड़ की फिरौती मांगी। दुनिया भर की 1 हजार कंपनियों का काम-काज प्रभावित हुआ। इसके पीछे REvil ग्रुप पर संदेह जताया गया जो रूस समर्थित माना जाता है।
30 मई को दुनिया की सबसे बड़ी मीट सप्लाई करने वाली कंपनी JBS पर साइबर हमला हुआ है। ये कंपनी ब्राजील की है, लेकिन अन्य देशों में भी इसका कारोबार फैला हुआ है। हमले के बाद अमेरिका में मौजूद 13 मीट प्रोसेसिंग यूनिट पर काम बंद करना पड़ा। इसके पीछे भी Revil ग्रुप का नाम सामने आया।
इससे पहले कोलोनियल पाइपलाइन कंपनी पर साइबर अटैक करते हुए 'डार्कसाइड' नामक साइबर क्राइम ग्रुप में 100 GB डेटा चुरा लिया। कुछ कंप्यूटर और सर्वर पर डेटा को लॉक कर दिया।
अमेरिका की IT फर्म SolarWinds पर हुए साइबर अटैक का पता महीनों तक नहीं चला। इसका प्रयोग हैकरों ने अमेरिकी सरकार के बड़े विभाग, जैसे होमलैंड सिक्योरिटी और ट्रेजरी विभाग पर जासूसी के लिए किया।
साल 2020 में भारत में साइबर सिक्योरिटी के 11.60 लाख मामले रिपोर्ट किए गए। 2019 के मुकाबले ये तीन गुना ज्यादा है। 2019 में 3.57 लाख मामले रिपोर्ट किए गए थे। संसद में सरकार ने बताया कि 2020 में साइबर सिक्योरिटी के करीब 3 हजार मामले रोजाना आए।
मई 2021 में भारत में एयर इंडिया का सर्वर हैक करके 45 लाख यात्रियों का पर्सनल डेटा चुरा लिया गया। मार्च 2021 में पिंपरी-चिंचवड़ म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर हमला हुआ, जिसे टेक महिंद्रा मैनेज कर रहा है। इसी तरह देश के कई पावर सेंटर्स पर भी साइबर अटैक हुए। इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (CERT-In) के अनुसार 2017 और 2019 के बीच केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों और राज्य सरकारों से संबंधित कुल 336 वेबसाइटों को हैक किया गया था।
पिछले साल जून में अचानक सूचना, बैंकिंग, पावर और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर पर साइबर हमले बढ़ गए थे। उस वक्त महाराष्ट्र के साइबर डिपार्टमेंट ने बताया था कि ये सभी हमले चीन से हुए थे। उन्होंने 40,300 साइबर हमलों की जानकारी इकट्ठा की थी। हालांकि भारत सरकार ने सीधे तौर पर इसमें चीन के शामिल होने की बात स्वीकार नहीं की।
15 देशों में काम करने वाले संगठन इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटजिक स्टडी ने पाया है कि भारत की बड़ी साइबर ताकत पाकिस्तान के खिलाफ लग रही है, जबकि चीन पड़ोस में मौजूद है और लगातार हमले कर रहा है। भारत के लिए टू-फ्रंट वॉर वाली स्थिति है। PMO के नेशनल साइबर सिक्योरिटी कोऑर्डिनेटर लेफ्टिनेंट जनरल राजेश पंत ने कहा कि भारत सरकार इसी साल साइबर सिक्योरिटी से जुड़ी नई रणनीति जारी करेगी। इसमें एक सुरक्षित, संरक्षित, मजबूत, गतिशील और भरोसेमंद साइबर क्षेत्र बनाने पर जोर होगा।
पिछले कुछ सालों में भारत की साइबर क्षमता में कुछ सुधार देखने को मिला है। साइबर सिक्योरिटी इंडेक्स के लिहाज से सबसे सुरक्षित देशों में भारत 10वें स्थान पर पहुंच गया गया है। 2018 में भारत 47वें स्थान पर होता था। भारत की गंभीरता इस बात से समझ आती है कि पिछले साल साइबर सिक्योरिटी के मुद्दे पर सरकार ने टिक-टॉक, पब्जी समेत 250 से ज्यादा चीनी ऐप्स पर बैन लगा दिया था।
'साइबर कैपेबिलिटी एंड नेशनल पावर: ए नेट एसेसमेंट' ने भारत को साइबर सिक्योरिटी के मामले में थर्ड टियर में रखा गया है। पहले टियर में US, UK, कनाडा, इजराइल, ऑस्ट्रेलिया जैसे देश हैं। इसका मतलब है कि भारत को साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में अभी भी काफी मेहनत और प्रगति करनी है।