डेस्क न्यूज़- किसान 2 महीने से अधिक समय से कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं, इस बीच
कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए और कृषि विधेयक का विरोध करते हुए,
राज्यसभा में किसान आंदोलन के दौरान मारे गए सभी किसानों का आंकड़ा सामने रखा। दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि यदि सरकार किसानों की बात मान ले तो सरकार छोटी नहीं हो जाएगी।
कृषि कानूनों को लेकर नाराज दीपेंद्र हुड्डा
दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि किसान कृषि कानूनों को लेकर नाराज हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है
कि हरियाणा के मुख्यमंत्री अपने गृह क्षेत्र में ही नहीं बुला सकते थे, जो किसान दिल्ली की सीमा पर बैठे हैं,
वे आंदोलन करने के लिए रामलीला मैदान आ रहे थे, लेकिन जब उन्हें आने की अनुमति नहीं दी गई,
तो वे जहां थे वहीं रुक गए।
दिल्ली के लाल किले में जो हुआ वह असहनीय है
हुड्डा ने कहा कि वार्ता जारी रही लेकिन कोई परिणाम नहीं मिला, 11वें दौर की वार्ता के दौरान
किसान 5 घंटे तक बैठे रहे लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा, बाद में यह बताया गया कि सरकार से बातचीत समाप्त हो गई है,
26 जनवरी को दिल्ली के लाल किले में जो हुआ वह असहनीय है, जो भी दोषी हैं उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
किसान आंदोलन को बदनाम किया गया
हुड्डा ने कहा कि 26 जनवरी की घटना के बाद झूठे मामले बनाए गए, किसान आंदोलन को बदनाम किया गया,
आंदोलनकारी किसानों को आतंकवादी और देशद्रोही बताया गया, किसानों को बताया गया कि वे देशद्रोही हैं,
उन्हें चीन और पाकिस्तान से पैसा मिल रहा है।
मोटे कांटेदार तार और कंक्रीट की बैरिकेडिंग थी
उन्होंने कहा कि तीन-चार दिन पहले एक उम्मीद थी, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं एक
टेलीफोन कॉल से दूर हूं, तब से 3-4 दिनों में क्या हुआ? प्रधानमंत्री के बयान के बाद उलटा हुआ कि
मोटे कांटेदार तार थे और कंक्रीट की बैरिकेडिंग थी, पानी, बिजली काट दी गई और शौचालय हटा दिए गए।
हुड्डा ने कहा कि उनके विषयों को मानने से कोई शासक नहीं बनता या सरकार छोटी नहीं होती,
सरकार को बड़े दिल से किसानों की बात माननी चाहिए, अगर सरकार इसे आत्मनिर्भर बनाने की बात करती है,
तो हमारे देश ने भी आत्मनिर्भर किसान बनाए हैं।