CDS जनरल रावत के 2 अनकहे किस्से, जिसमें जनरल रावत ने दी थी मौत को 2 बार मात

जनरल रावत पहले भी दो बार मौत को चकमा दे चुके है. इससे पहले जनरल रावत 28 साल पहले पाकिस्तान की गोली से और दूसरी बार 6 साल पहले हुए हेलिकॉप्टर क्रैश में बाल-बाल बचे थे रावत.
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जनरल बिपिन रावत जिन्हे आप सभी देश के पहले CDS के रुप में पहचानते है. हाल ही में तमिलनाडु के नीलिगिरी में सैना के हेलिकॉप्टर क्रैश में CDS बिपिन रावत, उनकी पत्नी और 11 अन्य अधिकारियों की मौत हो गई. वहीं उनके शव जब वेलिंगटन से सुलूर हवाई अड्डे लाए जा रहे थे तब भी उनकी एक एंबुलेंस का भी गुरुवार को एक्सिडेंट हुआ. इससे से पता चलता है की मानो मौत भी ये सुनिश्चित करना चाहती हो कि उसने देश के कोहिनूर को हमसे छिन लिया. अब किसी भी जादुई करिश्मे की उम्मीद करना बेमानी होगी. इससे पहले भी बिपिन रावत 2 बार मौत को मात दे चुके है. पहला हादसा 28 वर्ष पुराना और दूसरा केवल 6 साल पुराना है. हम आपको दोनो हादसों के बारे में विस्तार से बता रहे है...

पहला हादसा – लगी पाकिस्तान की गोली, लेकिन नहीं मानी हार

1993 का समय था. जब बिपिन रावत 5/11 गोरखा राइफल्स में मेजर के पद पर तैनात थे तारीख थी 17 मई. कश्मीर के उरी इलाके में वह अपने कुछ साथ जवानो के साथ गश्त पर थे. उसी दौरान पाकिस्तान की और से गोलीबारी शुरू कर दी. उस गोलीबारी की जद में बिपिन रावत भी आए. एक गोली उनके टखने पर लगी और लखना चूर हो गया.

एक छर्रा उनके दाए हाथ पर लगा. वो लहूलुहान हालत में वही बैठ गए. घायल अवस्था में उन्हे वहां से बाहर निकालकर श्रीनगर के 92 बेस अस्पताल में भर्ती करवाया गया. जहां अस्पताल में डॉक्टरों ने उनके हाथ और टखने को तो ठीक कर दिया.

General Bipin Rawat with his father
General Bipin Rawat with his father

लेकिन घटना के बाद उनके मन में एक बात को लेकर टेंशन हुई. उन्हे डर था की गोली लगने के बाद उनके सीनियर कमांड कोर्स में शामिल होने से रोकर दिया जाएगा. परंतु उन्होने हिम्मत नहीं छोडी. बैसाखी के सहारे चलना शुरू किया और एक महिने में रिकवर होकर फिर से फिल्ड पर आ गए. बाद में उन्हे रेजिमेंट सेंटर लखनऊ में फिर से तैनाती मिली. सेना की और से बिपिन रावत को उनकी जाबाजी के लिए सेना के वूंड मेडल से नवाजा गया. उनके इस साहस की मिसाल आज भी सेना में जवानों को दी जाती है.

दूसरा हादसा - हेलिकॉप्टर उडान भरते समय हुआ क्रैश, बचे बिपिन रावत

वर्ष था 2015. बिपिन रावत उस समय लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर थे. उन पर नागालैंड के दीमापुर स्थित 3 कॉर्प हेडक्वार्टर की जिम्मेदारी थी. दिनांक 3 फरवरी 2015 को सुबह 9.30 बजे बिपिन रावत, एक कर्नल और दो पायलट के साथ चीता हेलिकॉप्टर पर सवार होकर दीमापुर से उड़ान भरी. लेकिन हेलिकॉप्टर जमीन से 20 फीट ऊपर गया, तभी इंजन फेल हो गया। कुछ सेकेंड बाद ही वे जमीन पर आ गिरा। उसमें सवार सभी लोगों को चोट आई, लेकिन एक बार फिर बिपिन रावत ने मौत को शिकस्त दी।

This picture is being told of the accident in 2015.
This picture is being told of the accident in 2015.

उस समय रक्षा विभाग के जनसंपर्क अधिकारी थे अमित महाजन. उन्होने बताया कि सेना का हेलिकॉप्टर ने डेली रूटीन के रूप में उडान भरी थी. वहीं उस समय कोहिमा में रक्षा PRO रहे लेफ्टिनेंट इमरान मुसावी ने बताया था कि इंजन फेल होने के कारण यह घटना घटी थी, उस समय हेलिकॉप्टर में सवार रहे अधिकारियों को मामूली चोट आई थी. बिपिन रावत के साहस का हम इस बात से अंदाजा लगा सकते है है क्रैश के कुछ समय बाद ही उन्होंने दोबारा हेलिकॉप्टर से उड़ान भरी.

आखिरी किस्सा – इस बार मौत के चंगुल में फस ही गए रावत

CDS रावत ने अपनी आखिरी उड़ान पर सुलुर से वेलिंगटन के लिए रवाना हुए थे। उसमें उनकी पत्नी मधुलिया के साथ 12 अन्य रक्षाकर्मी एयरफोर्स के Mi-17 V5 हेलिकॉप्टर में सवार थे। वे वेलिंगटन के डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज में लेक्चर के लिए जा रहे थे. लेकिन लोकेशन से 16 किलोमीटर पहले हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया। इस बार मौत ने उन्हें अपने चंगुल में जकड़ रखा था. इस तरह भारत ने अपना पहला CDS और एक जांबाज सैन्य अधिकारी जनरल बिपिन रावत को खो दिया।

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