डेस्क न्यूज़ – देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने सोमवार को लद्दाख संघर्ष पर एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हमेशा अपने शब्दों के निहितार्थ, राष्ट्र की सुरक्षा पर घोषणाओं के प्रति सचेत रहना चाहिए।
मनमोहन सिंह ने एक बयान में सरकार को यह याद दिलाने की कोशिश की कि "विघटन कूटनीति या निर्णायक नेतृत्व का कोई विकल्प नहीं है"।
मनमोहन सिंह ने कहा की ''आज हम इतिहास के एक नाजुक मोड़ पर खड़े हैं। हमारी सरकार के निर्णय और सरकार के उठाए गए कदम तय करेंगे कि भविष्य की पीढ़ियां हमारा मूल्यांकन कैसे करेंगी। जो देश का नेतृत्व कर रहे हैं, उनके कंधों पर कर्तव्य का गहन दायित्व है।" सिंह ने आगे कहा कि "प्रधानमंत्री को हमेशा अपने शब्दों के निहितार्थ और हमारे राष्ट्र की सुरक्षा के साथ–साथ रणनीतिक और क्षेत्रीय हितों पर भी ध्यान देना चाहिए"। यह देखते हुए कि विघटन कूटनीति या निर्णायक नेतृत्व का कोई विकल्प नहीं है, सिंह ने प्रधानमंत्री से भारत की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने वाले सैनिकों के लिए न्याय सुनिश्चित करने का आह्वान किया।
सिंह ने आगे कहा की ''15-16 जून, 2020 को गलवान घाटी में भारत के 20 बहादुर जवानों ने वीरता के साथ अपना कर्तव्य निभाते हुए देश के लिए अपने प्राण देश के नाम कर दिए। इस सर्वोच्च बलिदान के लिए हम इन साहसी सैनिकों और उनके परिवारों के प्रति आभारी हैं। लेकिन उनका यह बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। कुछ भी कम करना लोगों के विश्वास का एक ऐतिहासिक विश्वासघात होगा।"
मनमोहन सिंह ने कहा "हम ना तो चीन की धमकियों और दबाव के सामने झुकेंगे और ना ही अपने इलाके की अखंडता से कोई समझौता स्वीकार करेंगे.'' उन्होंने कहा, ''प्रधानमंत्री को अपने बयान से उनके षड्यंत्रकारी रुख को ताकत नहीं देनी चाहिए। जबकि यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सरकार अपने पुरे दम ख़म से इस खतरे का सामना करेंगी, और स्थिति को और ज्यादा गंभीर होने से रोकने के लिए पूरी सहमति से काम करेगी।''
लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध पर उन्होंने कहा, "हमारे लोकतंत्र में यह जिम्मेदारी प्रधान मंत्री के पद पर रहती है। प्रधानमंत्री को हमेशा अपने शब्दों और घोषणाओं के प्रति हमारे देश की सुरक्षा के साथ–साथ रणनीतिक और क्षेत्रीय हितों के प्रति भी सतर्क रहना चाहिए।"
15 जून को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सेना द्वारा किए गए एक क्रूर हमले में भारतीय सेना के 20 जवान मारे गए थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत–चीन तनाव विषय पर शुक्रवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में कहा था कि ना कोई हमारे क्षेत्र में घुसा और ना ही किसी ने हमारी चौकी पर कब्जा किया है। उनके इस बयान को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय ने शनिवार को कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी के सर्वदलीय बैठक में की गई टिप्पणियों की कुछ हलकों में ''शरारतपूर्ण व्याख्या" की कोशिश की जा रही है।
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