Uttarakhand : हरिद्वार कुंभ में कोरोना घोटाला, 1 लाख से ज्यादा किए गए थे फर्जी टेस्ट

उत्तराखंड सरकार ने महाकुंभ के दौरान कोरोना टेस्टिंग घोटाले में हरिद्वार जिला प्रशासन को प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है,
Uttarakhand : हरिद्वार कुंभ में कोरोना घोटाला, 1 लाख से ज्यादा किए गए थे फर्जी टेस्ट

Uttarakhand : हरिद्वार कुंभ में कोरोना घोटाला, 1 लाख से ज्यादा किए गए फर्जी टेस्ट – उत्तराखंड सरकार ने महाकुंभ के दौरान कोरोना टेस्टिंग घोटाले में हरिद्वार जिला प्रशासन को प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है, राज्य सरकार के प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने जानकारी देते हुए बताया कि कुंभ मेले के दौरान हरिद्वार में 5 जगहों पर टेस्ट करने वाली दिल्ली और हरियाणा की लैब के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश जारी किया गया है।

बता दें, उत्तराखंड में हरिद्वार कुंभ के दौरान कोरोना टेस्टिंग में एक बड़ा घोटाला सामने आया है, यहां फर्जी नंबर और पते वाले करीब 1 लाख कोरोना टेस्ट फर्जी निकले हैं। कुंभ मेला स्वास्थ्य विभाग ने हरिद्वार, देहरादून, रुड़की और हरियाणा में 11 लैब को कोरोना की जांच के लिए सूचीबद्ध किया था। इनमें से हरियाणा की 2 प्राइवेट लैब ने कुंभ मेले के दौरान 1 लाख से ज्यादा रैपिड एंटीजन टेस्ट किए थे, इनमें से ज्यादातर टेस्ट नेगेटिव आए थे।

Uttarakhand : हरिद्वार कुंभ में कोरोना घोटाला, 1 लाख से ज्यादा किए गए फर्जी टेस्ट – गौरतलब है कि कोरोना की दूसरी लहर के बीच 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक हरिद्वार में महाकुंभ का आयोजन किया गया था।

जहां देश के विभिन्न राज्यों से लाखों श्रद्धालु कुंभ मेले में भाग लेने के लिए हरिद्वार पहुंचे थे, सरकार की ओर से श्रद्धालुओं की कोरोना जांच की जिम्मेदारी 11 निजी पैथोलॉजी लैब को दी गई थी।

'एक ही घर से लिए गए 530 सैंपल'

जांच से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, 'पते और नाम फर्जी थे। हरिद्वार में ही 'मकान नंबर 5' से करीब 530 सैंपल लिए गए। क्या एक घर में 500 से ज्यादा लोग रह सकते हैं? उन्होंने कहा कि फोन नंबर भी फर्जी थे और कानपुर, मुंबई, अहमदाबाद और 18 अन्य स्थानों के लोगों ने एक ही फोन नंबर साझा किए।

कुंभ मेला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अर्जुन सिंह ने कहा कि एजेंसी को इन एकत्रित नमूनों को दो निजी लैब में जमा करना था,जिसकी जांच भी की जा रही है।

'ये सैंपल लेने वाले कभी नहीं गए हरिद्वार'

यह भी बताया जा रहा है कि एजेंसी में पंजीकृत लगभग 200 सैंपल कलेक्टर छात्र और डाटा एंट्री ऑपरेटर या राजस्थान के निवासी निकले, जो कभी हरिद्वार नहीं गए थे। नमूना एकत्र करने के लिए एक नमूना संग्राहक को शारीरिक रूप से उपस्थित होना पड़ता है।

एक अधिकारी ने कहा, "जब हमने एजेंसी के साथ पंजीकृत नमूना संग्रहकर्ताओं से संपर्क किया, तो हमने पाया कि उनमें से 50 प्रतिशत राजस्थान के निवासी थे, जिनमें से कई छात्र या डेटा एंट्री ऑपरेटर थे।"

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