डेस्क न्यूज़- सोमवार 11 जनवरी को विरासत संरक्षण समिति ने सेंट्रल विस्टा पुनर्निर्माण परियोजना के तहत नए संसद भवन के निर्माण को मंजूरी प्रदान कर दी हैं। कुछ दिन पहले ही उच्चतम न्यायालय ने इस समिति से मंजूरी के संबंध में सरकार को निर्देश दिया था। बता दे कि सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार से विरासत संरक्षण समिति से अनुमति लेने को कहा था।
सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के लिए सरकार को मंजूरी दे दी हैं
आवास सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि समिति ने प्रस्ताव पर चर्चा की और
इसे मंजूरी प्रदान की हैं। केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा
विरासत संरक्षण समिति के अध्यक्ष भी हैं।
बता दे कि कुछ दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के लिए सरकार को मंजूरी दे दी हैं। कुछ दिन
पहले ही उच्चतम न्यायालय ने ‘सेंट्रल विस्टा’ परियोजना को मिली पर्यावरण मंजूरी और भूमि उपयोग में बदलाव की
अधिसूचना को बरकरार रखते हुए राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक तीन
किलोमीटर के क्षेत्र में फैली इस महत्वाकांक्षी परियोजना का रास्ता साफ कर दिया था।
2024 तक पूरा होने की उम्मीद
सेंट्रल विस्टा परियोजना की घोषणा सितंबर 2019 में की गई थी। इसके तहत त्रिकोण के आकार वाले नए संसद
भवन का निर्माण किया जाएगा जिसमें नौ सौ से लेकर बारह सौ सांसदों के बैठने की व्यवस्था होगी।
इसका निर्माण अगस्त 2022 तक पूरा होना है। इस नए संसद भवन का निर्माण 2024 तक पूरा होने की उम्मीद है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि नए स्थलों पर निर्माण कार्य आरंभ करने से
पहले विरासत संरक्षण समिति तथा अन्य संबंधित प्राधिकारों से पूर्व अनुमति ली जाए।
पीठ के एक जज ने जताई असहमति
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने 2:1 के बहुमत के फैसले में कहा
कि परियोजना के लिए जो पर्यावरण मंजूरी दी गई है तथा भूमि उपयोग में परिवर्तन के लिए
जो अधिसूचना जारी की गई है, वह वैध नही हैं।