किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट – कोरोना महामारी के मद्देनजर किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की हैं। जिसमें उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को चिंता जताई हैं। और केंद्र सरकार से पूछा कि क्या किसान आंदोलन में कोरोना के नियमों का पालन किया जा सकता है। मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एसए बोबडे ने सुनवाई के दौरान सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश हमें नहीं पता कि किसान कोरोना से सुरक्षित हैं या नहीं। उन्होने कहा कि यदि नियमों का पालन नहीं किया गया तो तबलीगी जमात की तरह दिक्कत हो सकती है।
जनहित याचिका पर सुनवाई
यह बातें अदालत ने कोविड लॉकडाउन के दौरान भीड़ इकट्ठा करने की इजाजत देने और निजामुद्दीन स्थित मरकज केस को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कहीं। याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार ने निजामुद्दीन मरकज में विदेशी प्रतिनिधियों के साथ बड़ी संख्या में लोगों को इकट्ठा होने की अनुमति देकर लाखों नागरिकों के स्वास्थ्य को खतरे में डाल दिया गया था। इस पर शीर्ष अदालत ने सुनवाई करते हुए कहा कि आप हमें बताएं कि क्या हो रहा है? मुझे नहीं पता कि किसान कोविड से सुरक्षित हैं या नहीं। उन्होने आगे कहा कि किसानों के विरोध प्रदर्शन में भी यही समस्या उत्पन्न हो सकती है। अदालत के सवाल पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हम हालात के बारे में जानने की कोशिश करेंगे।
वहीं याचिकाकर्ता के वकील परिहार ने कहा कि मौलाना साद का अभी तक पता नहीं चल सका है। इसपर सीजेआई एसए बोबडे ने कहा कि हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि कोरोना न फैले और जारी किए गए दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जाए। याचिका पर सुनवाई के दौरान सीजेआई ने केंद्र से पूछा कि क्या विरोध कर रहे किसान कोविड के प्रसार को रोकने के लिए एहतियातन कदम उठा रहे हैं? आपने मरकज की घटना से क्या सीखा है? कोरोना महामारी से बचाव सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं? इसके साथ ही अदालत ने केंद्र से इन सवालों के दो हफ्ते के अंदर जवाब देने को कहा है।