राजधानी दिल्ली के जामिया नगर के नूर नगर इलाके में स्थित मंदिर की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की। मामले में याचिका दायर की गई। जिस पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के जज संजीव सचदेवा की पीठ ने कहा कि ले-आउट प्लान के हिसाब से उक्त स्थान पर मंदिर है और इस पर अतिक्रमण करने की अनुमति नहीं है।
इसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने मंदिर की सुरक्षा के निर्देश दिए। हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस और नगर निगम से कहा कि मंदिर की तय लेआउट प्लान के हिसाब से सुरक्षा की जाए। हाईकोर्ट ने यह आदेश शुक्रवार (सितंबर 24, 2021) को दिया।
206 वार्ड कमेटी जामिया नगर की वकील नितिन सलूजा की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि मंदिर के पास स्थित धर्मशाला का एक हिस्सा बदमाशों ने हाल ही में रातों-रात गिरा दिया। इलाके के इकलौते मंदिर पर अतिक्रमण हो रहा है और उसे ढहाया जा रहा है। मंदिर की धर्मशाला को रातों-रात गिरा कर जमीन को लेवल कर दिया गया, ताकि इस पर कब्जा किया जा सके।
सुनवाई के दौरान नितिन सलूजा ने मंदिर के अलावा धर्मशाला को तोड़ने से जुड़ी तस्वीरें भी पेश की। वहीं, दिल्ली सरकार के शहरी विकास की वेबसाइट पर उपलब्ध ले-आउट प्लान का भी हवाला दिया गया, जिसमें नूर नगर एक्सटेंशन जामिया नगर में उक्त स्थान पर मंदिर है।
नूर नगर की वार्ड कमेटी के याचिकाकर्ताओं ने अदालत के समक्ष अपनी याचिका में कहा था कि मंदिर की स्थापना 1970 में हुई थी और इसे डीडीए लेआउट योजनाओं में चिह्नित किया गया है। याचिका में कहा गया, "वर्ष 1970 में मंदिर की स्थापना के बाद से पूजा और कीर्तन होते रहे हैं। मंदिर में पूजा और अन्य धार्मिक उद्देश्यों के लिए लगभग 8-10 मूर्तियाँ थीं, जिन्हें अब बदमाशों ने हटा दिया है।" बता दें कि यह मुस्लिम बहुल क्षेत्र है और इस इलाके में सिर्फ 40 से 50 हिंदू परिवार ही अब रहते हैं। बताया जा रहा है कि मंदिर हटा कर यहाँ पर कॉम्पलेक्स बनाने की योजना है।