National Doctor’s Day : आखिर आज ही के दिन नेशनल डॉक्टर्स डे क्यों मनाया जाता है, जानें..

कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया में लाखों लोगों की जान ले ली है और करोड़ों लोगों को घरों में रहने को मजबूर कर दिया है, लेकिन ऐसी मुश्किल स्थिति में भी डॉक्टर अस्पतालों में अपनी ड्यूटी कर रहे हैं, आज का दिन इन्हीं डॉक्टरों के सम्मान को समर्पित है।
National Doctor’s Day : आखिर आज ही के दिन नेशनल डॉक्टर्स डे क्यों मनाया जाता है, जानें..

National Doctor's Day : आज देश नेशनल डॉक्टर्स डे मना रहा है कोरोना काल में डॉक्टरों की भूमिका किसी भगवान से कम नहीं रही ऐसे में आज हम आपको इतिहास के पन्नों में लेकर चलेंगे जहां हम आपको बताएंगे की आखिर आज ही के दिन नेशनल डॉक्टर्स डे क्यों मनाया जाता है, और इसके साथ ही हम आपको बताएंगे की 1 जुलाई को इतिहास के पन्नों में किन महत्वपूर्ण घटनाओं की वजह से याद किया जाता है। लेकिन सबसे पहले बात नेशनल डॉक्टर्स डे की….

क्यों मनाया जाता है नेशनल डॉक्टर्स डे ?

कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया में लाखों लोगों की जान ले ली है और करोड़ों लोगों को घरों में रहने को मजबूर कर दिया है, लेकिन ऐसी मुश्किल स्थिति में भी डॉक्टर अस्पतालों में अपनी ड्यूटी कर रहे हैं, आज का दिन इन्हीं डॉक्टरों के सम्मान को समर्पित है। आज राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस है, जो देश के प्रसिद्ध चिकित्सक और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉ. बिधान चंद्र रॉय के सम्मान में मनाया जाता है।

बिहार की राजधानी पटना के बांकीपुर में 1 जुलाई 1882 को जन्मे डॉ. बिधान चंद्र रॉय पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे थे, उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई की और आगे की पढ़ाई के लिए कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लिया।1909 में, रॉय ने पढ़ाई के लिए इंग्लैंड जाने का फैसला किया, लेकिन विद्रोही बंगाल से होने के कारण, वह वहां प्रवेश देने से हिचक रहे थे। सेंट बार्थोलोम्यू अस्पताल के डीन ने रॉय को भर्ती करने से रोकने की पूरी कोशिश की।

उसने लगभग डेढ़ महीने तक रॉय को अपने पास रखा ताकि वह परेशान होकर लौट सके, लेकिन रॉय इतनी आसानी से हार मानने वाले नहीं थे। वह 30 बार कॉलेज के डीन से मिले, तब कहीं जाकर रॉय को प्रवेश मिल सका।

रॉय 1911 में इंग्लैंड में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद भारत लौट आए। वापस आने के बाद उन्होंने कलकत्ता मेडिकल कॉलेज, कैंपबेल मेडिकल स्कूल और कारमाइकल मेडिकल कॉलेज में पढ़ाया। उन्होंने कोलकाता में नए अस्पताल भी शुरू किए। इस दौरान वे गांधीजी के संपर्क में आए और असहयोग आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया।

गांधीजी से जुड़ा उनका एक किस्सा मशहूर है, 1933 में अपने अनशन के दौरान गांधी जी ने दवाई लेने से मना कर दिया था। तब राय बापू से मिले और उनसे दवाएं लेने का अनुरोध किया। गांधीजी ने उनसे कहा, मैं आपकी दवा क्यों लूं? क्या आपने हमारे देश में 40 करोड़ लोगों को मुफ्त इलाज दिया है?

इस पर राय ने उत्तर दिया, नहीं, गांधीजी, मैं सभी मरीजों का मुफ्त इलाज नहीं कर सकता। मैं यहां मोहनदास करमचंद गांधी का इलाज करने नहीं आया हूं, मैं यहां उन्हें ठीक करने आया हूं जो मेरे देश के 40 करोड़ लोगों के प्रतिनिधि हैं। इस पर गांधीजी ने मजाक में उनसे कहा- तुम मुझसे तीसरे दर्जे के वकील की तरह बहस कर रहे हो।

भारत की आजादी के बाद रॉय ने अपना पूरा जीवन चिकित्सा सेवा के लिए समर्पित कर दिया। वह 1948 से 1962 तक अपनी मृत्यु तक लगातार 14 वर्षों तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे।

1961 में उन्हें भारत सरकार द्वारा भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 1962 में उनके जन्मदिन के दिन दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। 1991 में, सरकार ने घोषणा की कि राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस हर साल 1 जुलाई को मनाया जाएगा। तभी से हर साल 1 जुलाई को देशभर में डॉक्टर्स डे मनाया जाता है।

1 जुलाई 1955 को ही हुई थी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की शुरुआत

देश में बैंक ऑफ कलकत्ता की शुरुआत 1806 में हुई थी। यह देश का पहला बैंक था। 3 साल बाद ब्रिटिश चार्टर के तहत इसका नाम बदलकर बैंक ऑफ बंगाल कर दिया गया। यह बैंक ब्रिटिश और बंगाल सरकार द्वारा संयुक्त रूप से चलाया जाता था।

बैंक ऑफ बॉम्बे और बैंक ऑफ मद्रास की शुरुआत भी 1840 के दशक में हुई थी। ये तीनों बैंक स्वतंत्र रूप से काम कर रहे थे, लेकिन 27 जनवरी 1921 को इन तीनों बैंकों का विलय कर दिया गया और एक नए बैंक का गठन किया गया, जिसका नाम इम्पीरियल बैंक ऑफ इंडिया रखा गया। स्वतंत्रता के बाद, वर्ष 1955 में, भारत सरकार द्वारा एक संसदीय अधिनियम के तहत इम्पीरियल बैंक का अधिग्रहण किया गया था और इस दिन भारतीय स्टेट बैंक की स्थापना की गई थी।

इसके बाद 1955 में सब्सिडियरी एक्ट आया और देश में स्टेट बैंक के ही अलग-अलग सब्सिडियरी खोले गए। इसके तहत स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर, स्टेट बैंक ऑफ इंदौर, स्टेट बैंक ऑफ जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ सौराष्ट्र, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला और स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर जैसे सहयोगी बैंक बने। हालांकि 1 अप्रैल 2017 को इन सभी बैंकों को भारतीय स्टेट बैंक में मर्ज कर दिया गया।

आज स्टेट बैंक भारत का सबसे बड़ा बैंक है और देश के बाजार के एक चौथाई हिस्से पर इसका कब्जा है। इस बैंक की देशभर में 22 हजार शाखाएं और 58 हजार से ज्यादा एटीएम हैं। इस बैंक का कारोबार 32 देशों में फैला हुआ है और इसकी गिनती देश के सबसे भरोसेमंद बैंकों में होती है।

1 जुलाई को इन महत्वपूर्ण घटनाओं की वजह से भी याद किया जाता है…

2018: नई दिल्ली के बुरारी में पुलिस को एक घर से एक ही परिवार के 11 लोगों की लाश मिली थी। इनमें से 10 लोगों की आंखों पर पट्टी बंधी थी और उनके शव लटके हुए पाए गए थे।

2017: देश में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) लागू हुआ। इसके तहत देश के अलग-अलग टैक्स सिस्टम को खत्म कर 'एक देश-एक टैक्स' की शुरुआत की गई।

1991: सोवियत संघ के पतन के बाद वारसा संधि भंग की गई।

1968: अमेरिका, सोवियत संघ और ब्रिटेन समेत दुनिया के 58 देशों ने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर किए।

1961: भारतीय अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला का आज के दिन जन्म हुआ। 2003 में स्पेस मिशन के दौरान ही एक हादसे में उनकी मौत हो गई।

1933: परमवीर चक्र विजेता भारतीय सैनिक अब्दुल हमीद का जन्म हुआ।

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