न्यूज – देश में अब एक तरफ निवेश सीमा को बढ़ाया गया है और साथ ही सालाना कारोबार का नया मानदंड भी इसमें जोड़ा गया है। इस पहल का उद्देश्य छोटी कंपनियों को उनके दायरे में बनाये रखते हुए वित्तीय और अन्य प्रोत्साहन उपलब्ध कराना है। नयी परिभाषा के तहत अब एक करोड़ रुपये तक के निवेश वाली इकाइयां सूक्ष्म इकाई, 10 करोड़ रुपए के निवेश वाली लघु तथा 20 करोड़ रुपए के निवेश वाले मझोले उद्यम कहलाएंगे। अब तक यह सीमा क्रमश: 25 लाख रुपए, 5 करोड़ रुपए और 10 करोड़ रुपये थी। साथ ही एमएसएमई की परिभाषा के लिए सालाना कारोबार आधारित मानदंड भी बनाया गया है। इसके तहत 5 करोड़ रुपए तक के सालाना कारोबार वाली इकाइयां सूक्ष्म इकाइयां, 50 करोड़ रुपए के कारोबार वाली लघु तथा 100 करोड़ रुपए के कारोबार वाली मझोली इकाइयां कहलाएंगी।
एमएसएमई को राहत पहुंचाते हुए एक बड़ी घोषणा करते हुए वित्त मंत्री ने कहा था कि सरकारी तथा केंद्रीय लोक उपक्रमों पर छोटे उद्योगों का बकाया करीब एक लाख करोड़ रुपए का भुगतान 45 दिन के भीतर किया जाएगा। लघु एवं मझोले उद्यमों का देश के सकल घरेलू उत्पाद में करीब एक तिहाई हिस्सेदारी है और इसमें 11 करोड़ से अधिक कर्मचारी जुड़े हैं। बुधवार को की गयी पैकेज की घोषणा से उन्हें कोरोना वायरस के कारण जो बाधा उत्पन्न हुई, उससे पार पाने में मदद मिलेगी।30,000 करोड़ रुपए के विशेष नकदी योजना की भी घोषणा की गई हैं।
वित्त मंत्री ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी), आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) और सूक्ष्म राशि के ऋण देने वाले संस्थानों (एमएफआई) के लिए मुश्किल के इस दौर में 30,000 करोड़ रुपए के विशेष नकदी योजना की भी घोषणा की। इसके अलावा कमजोर साख रखने वाले एनबीएफसी, आवास वित्त कंपनियों और सूक्ष्म वित्त संस्थानों के लिए 45,000 करोड़ रुपए की आंशिक ऋण गारंटी (पार्शियल क्रेडिट गारंटी) योजना 2.0 की भी घोषणा की। इस पहल का मकसद है कि ये कंपनियां व्यक्तियों तथा एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) क्षेत्र की इकाइयों को अधिक कर्ज दे सकें।