राजस्थान उच्च न्यायालय जयपुर ने REET में धांधली की जांच के लिए एक केंद्रीय एजेंसी के लिए दायर याचिका को खारिज कर दिया और जांच होने तक इस परीक्षा के परिणाम को रोक दिया। न्यायमूर्ति गोवर्धन बाढ़दार और न्यायमूर्ति मनोज कुमार व्यास की खंडपीठ ने यह फैसला दिया। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से मांग की गई कि परीक्षा के परिणाम पर रोक लगाई जाए क्योंकि एसओजी की ओर से इसे लेकर रोजाना खुलासे हो रहे हैं। इस पर हाईकोर्ट ने कहा- चूंकि याचिकाकर्ता ने परीक्षा भी दी है, इसलिए इस मामले को जनहित का नहीं माना जा सकता। लाखों उम्मीदवारों ने परीक्षा दी है। यह परीक्षा उनका भविष्य तय करेगी। इसलिए हम उन छात्रों के हितों की अनदेखी नहीं कर सकते।
याचिकाकर्ता के वकील दीपक कुमार कैन ने बताया कि मामले में एकल पीठ में मामले को स्थानांतरित करने या वापस लेने की अनुमति भी मांगी गई है। डिविजनल बेंच ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह कोर्ट याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट की सिंगल बेंच में अपना दावा पेश करने की छूट देकर मामले को खारिज करता है। इस तरह हाईकोर्ट ने इस याचिका का निस्तारण कर दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने आगे का कानूनी रास्ता भी दिया है। इस मामले में आवेदक की ओर से अधिवक्ता मनोज भारद्वाज और दीपक कैन पेश हुए। सरकार की ओर से अधिवक्ता एमएम सिंघवी और संगीत शाह ने दलील दी। अधिवक्ता दीपक कुमार कह सकते हैं कि अब हम कोर्ट के आदेश की कॉपी का इंतजार कर रहे हैं, जो हमें अभी तक नहीं मिली है। इसे पूरा पढ़ने के बाद ही हम हाईकोर्ट के निर्देशानुसार आगे की कानूनी प्रक्रिया का पालन करेंगे।
यह जनहित याचिका सांगानेर के प्रताप नगर निवासी भागचंद शर्मा ने दायर की थी। इसमें राज्य सरकार के मुख्य सचिव, प्रारंभिक शिक्षा के प्रमुख सचिव, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान के सचिव और रीट के समन्वयक को पार्टी बनाया गया है। भागचंद शर्मा ने 26 सितंबर को रीट लेवल-2 की परीक्षा दी थी। शर्मा फिलहाल बेरोजगार हैं। एमएससी बीएड किया है। याचिका खारिज होने के बाद अब सरकार और शिक्षा विभाग ने राहत की सांस ली है। ऐसे लाखों उम्मीदवार, जो रीट परीक्षा के लिए उपस्थित हुए हैं और जो चाहते हैं कि रीट का परिणाम जल्द ही घोषित किया जाए। इस फैसले से उन्हें भी राहत मिली है।