Chief Election Commissioner : देश के कई राज्यों में चल रहे चुनाव के बीच आयोग के नए मुखिया तय कर दिए गए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुशील चंद्रा (Sushil Chandra) देश के अगले मुख्य चुनाव आयुक्त (Chief Election Commissioner) होंगे।
बताया जा रहा है कि रविवार को सरकार ने निर्वाचन आयोग के सबसे बड़े पद के लिए उनके नाम को मंजूरी दे दी है।
हालांकि इसका आदेश जारी होना अभी बाकी है, जो कभी भी जारी हो सकता है।
Chief Election Commissioner : रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुशील चंद्रा 13 अप्रैल को पदभार संभालेंगे।
वह 14 मई 2022 को अपने इस नए पदभार से मुक्त होंगे।
फिलहाल सुनील अरोड़ा मुख्य चुनाव आयुक्त की जिम्मेदारी निभा रहे हैं,
जो रिटायर होने वाले हैं।
सुशील चंद्रा को लोकसभा चुनावों से पहले 14 फरवरी 2019 को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया था।
सुशील चंद्रा का जन्म 15 मई 1957 को हुआ। वह 1980 बैच के आईआरएस (IRS) यानी इंडियन रेवेन्यू सर्विस के अधिकारी हैं। उनकी शिक्षा की बात करें तो वे एक आईआईटीयन भी हैं और कानून के जानकार भी। उन्होंने IIT रूड़की से बीटेक की पढ़ाई की है। वहीं, देहरादून के डीएवी कॉलेज से उन्होंने LLB की है।
आईआरएस अधिकारी के तौर पर उन्होंने उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र आदि राज्यों में अपनी सेवा दी है। अंतरराष्ट्रीय टैक्सेशन और इन्वेस्टिगशन के क्षेत्र में उन्होंने बड़े पैमाने पर काम किया है। मुंबई में निदेशक और गुजरात में महानिदेशक (जांच) रहते हुए उन्होंने समृद्ध अनुभव हासिल किया है। इसके अलावा उन्होंगे आईआईएम बेंगलुरु, सिंगापुर, व्हार्टन आदि जगहों में विभिन्न तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में ट्रेनिंग ली है।
चुनाव आयोग में शामिल होने से पहले सुशील चंद्रा टैक्सेशन नियामक सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (CBDT) यानी केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष रहे हैं। टीएस कृष्णमूर्ति के बाद वह दूसरे ऐसे IRS अफसर हैं, जिन्हें चुनाव आयुक्त बनाया गया। बता दें कि कृष्णमूर्ति को 2004 में मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया था।
सुशील चंद्रा के कार्यकाल में चुनाव आयोग उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर आदि राज्यों में विधानसभा चुनाव कराएगा। उत्तर प्रदेश विधानसभा का कार्यकाल 14 मई, 2022 को खत्म होना है। बाकी राज्यों में भी अगले साल मार्च से मई तक विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो जाएगा।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की ही तरह सबसे वरिष्ठ आयुक्त को मुख्य निर्वाचन आयुक्त नियुक्त करने की परंपरा रही है और इस फैसले को भी उसी परंपरा के अनुरूप माना जा रहा है। इसलिए 'निर्वाचन सदन' में शीर्ष पद के लिए उनके नाम को मंजूरी दी गई है।