कोरोना की दूसरी लहर पिछली बार की तुलना में बहुत अधिक भयानक है। इस समय कोरोना संक्रमण बहुत तेजी से लोगों में फैल रहा है। हर दिन दो लाख नए मामले आ रहे हैं। इस बीच बंगाल सहित देश में चुनाव भी हो रहे हैं, चुनावी रैलियाँ भी हो रही हैं, जहाँ सैकड़ों लोग जुट रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या देश में चुनाव जरूरी हैं या लोगों की जिंदगी?
कोरोना संकट के बीच, पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं,
जबकि उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के लिए मतदान हो रहा है।
आज, पंचायत सदस्य के 779, क्षेत्र पंचायत के 19313 और यूपी के
18 जिलों में ग्राम प्रधान के 14789 पदों के चुनाव के लिए मतदान हो रहा है। सुबह से ही 51,176 मतदान केंद्रों पर भीड़
उमड़ने लगी कहीं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो रहा है और कहीं नहीं।
कोरोना संक्रमित लोगों को भी पीपीई किट पहनकर मतदान करने की अनुमति दी गई है।
बंगाल में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है, लेकिन यहां के लोगों पर इसका कोई असर नहीं दिख रहा है। लगभग हर दिन राजनीतिक दलों के बड़े नेता बंगाल में रोड शो कर रहे हैं और चुनावी रैलियों को संबोधित कर रहे हैं। यहां लोगों की भारी भीड़ भी उमड़ रही है। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना तो दूर लोग मास्क भी पहने दिखाई नहीं देते हैं।आज ही खबर आई है कि पश्चिम बंगाल में विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे कांग्रेस नेता रेजाउल हक की कोरोना से मौत हो गई है। कांग्रेस नेता शमशेरजंग सीट से चुनाव लड़ रहे थे। वह कुछ दिनों पहले कोरोना से पीड़ित हुये थे।
कोरोना की चिंताजनक स्थिति को देखते हुए अब चुनाव वाले राज्यों में वर्चुअल प्रचार प्रसार की जरूरत है। चुनाव आयोग ने इसके लिए 16 अप्रैल को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। बैठक में इस बात पर चर्चा की जाएगी कि बंगाल में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए, इसका प्रचार कैसे किया जा सकता है और संक्रमण से कैसे बचा जा सकता है। शायद इस बैठक में वर्चुअल चुनाव प्रचार पर भी चर्चा हो सकती है। हालांकि, चुनाव आयोग की ओर से इस संबंध में अभी तक कोई दिशानिर्देश सामने नहीं आए हैं।