पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कौन सी पार्टी जीतेगी, यह सबसे बड़ा सवाल है, जो हर किसी के ज़हन में है। अब कौन जीतेगा, ये तो चुनाव नतीजों के बाद ही तय होगा। लेकिन कांग्रेस के लिए यह चुनाव बेहद अहम है। इन चुनावों का असर जहां पार्टी के संगठनात्मक चुनावों पर पड़ेगा, वहीं वे पार्टी की भविष्य की चुनावी रणनीति का खाका भी तैयार करेंगे।
इस बार पांच में से तीन राज्यों में कांग्रेस का बीजेपी सीधा मुकाबला से है। वहीं, पंजाब में पार्टी के सामने चुनौती अपने प्रदर्शन को दोहराने की है। ऐसे में अगर पार्टी पंजाब में अपनी सत्ता बरकरार रखते हुए उत्तराखंड, गोवा या मणिपुर में जीत दर्ज नहीं करती है तो इसका सीधा असर गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनावों पर पड़ेगा।
बता दें कि, गुजरात और हिमाचल प्रदेश में इस साल के अंत में चुनाव हैं। 2017 में, कांग्रेस पंजाब में अपनी जीत के साथ गोवा और मणिपुर में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। हालांकि, पार्टी गोवा और मणिपुर में सरकार बनाने में विफल रही, लेकिन कार्यकर्ताओं का जोश था। इसका फायदा गुजरात में देखने को भी मिला। गुजरात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का गृह राज्य है। तो यह भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल भी है। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने अल्पेश ठाकोर, हार्दिक पटेल और जिग्नेश मेवाणी की तिगड़ी के साथ 77 सीटें जीती थी। लेकिन यह बहुमत के आंकड़े को नहीं छू पाई थी।
इन पांच राज्यों के चुनाव नतीजों का असर हिमाचल प्रदेश के चुनाव पर भी पड़ेगा। कुछ महीनों पहले हुए लोकसभा और विधानसभा के उपचुनाव में कांग्रेस ने जबरदस्त प्रदर्शन किया था। ऐसे में अगर कांग्रेस इन पांच राज्यों में भी अच्छा प्रदर्शन करती है तो हिमाचल की लड़ाई आसान हो जाएगी। वहीं हारने पर चुनौतियां भी बढ़ेंगी।