गुजरात के विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए जीत की राह आसान होती जा रही है। यह इसलिए कि एक तरफ तो आम आदमी पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम के चुनाव लड़ने से कांग्रेस का मुस्लिम वोटर बंट रहा है, वहीं ये दोनों दल विशेषकर आप पार्टी इस चुनाव में कांग्रेस को अधिक नुकसान पहुंचा रहे हैं। आम आदमी पार्टी के नेताओं ने इस बार गुजरात में पूरी ताकत लगा रखी है, जिसके चलते कांग्रेस का वोट बैंक टूटता नजर आ रहा है।
इसके अलावा गुजरात में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के लिए उसके बागी नेता भी परेशानी खड़ी कर रहे हैं। साथ ही कई कांग्रेसी नेता भाजपा में शामिल हो चुके। कांग्रेस की सहयोगी पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के एकमात्र विधायक कंधाल जडेजा ने टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर सोमवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया। कद्दावर नेता कंधाल जडेजा कांग्रेस को खासा नुकसान पहुंचाएंगे।
इसी प्रकार आम आदमी पार्टी को भी कई झटके लग चुके। उसके कई बड़े नेता और सैंकड़ों कार्यकर्ता पार्टी छोड़ भाजपा या कांग्रेस में शामिल हो चुके। इससे पहले भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) आम आदमी पार्टी के साथ अपना गठबंधन तोड़ कर उसे बड़ा झटका दे चुकी। हालांकि कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए अल्पेश ठाकोर इस बार आप पार्टी को दूसरे और कांग्रेस को तीसरे स्थान पर रहने का दावा कर रहे हैं।
सर्वे एजेंसियों के सर्वे में भी अधिकतर में दावा किया गया है कि एक बार फिर भाजपा सरकार बना सकती है। आम आदमी पार्टी (आप) भी जड़ जमाती दिख रही है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को कड़ी टक्कर देने वाली कांग्रेस को इस बार 'आप' की एंट्री से नुकसान होता दिख रहा है। राजनीतिक जानकारों का भी कहना है कि भाजपा विरोधी मतों में बंटवारे से कांग्रेस को नुकसान और भाजपा को फायदा हो सकता है।
गुजरात में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के एकमात्र विधायक कंधाल जडेजा ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए टिकट नहीं मिलने के बाद सोमवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया। जडेजा ने पार्टी से टिकट नहीं मिलने के बाद भी 11 नवंबर को अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। उन्होंने 2012 और 2017 में राकांपा के टिकट पर पोरबंदर की कुटियाना सीट से चुनाव जीता था लेकिन इस बार कांग्रेस-राकांपा गठबंधन में यह सीट राकांपा को नहीं बल्कि कांग्रेस को मिली है।
प्रदेश राकांपा अध्यक्ष जयंत पटेल उर्फ जयंत बोस्के को सोमवार को भेजे पत्र में जडेजा ने कहा कि वह पार्टी के सभी पदों एवं प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं क्योंकि उन्हें इस बार टिकट नहीं मिला है। पिछले विधानसभा चुनाव में जडेजा ने कुटियाना सीट पर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों के ही प्रत्याशियों को हराया था क्योंकि तब राकांपा ने कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ा था। ऐसी अटकलें हैं कि जडेजा अब निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में या किसी अन्य दल के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं।
ग्यारह नवंबर को राकांपा ने राज्य में कांग्रेस के साथ चुनाव पूर्व गठजोड़ किया जिसके तहत शरद पवार के नेतृत्व वाली पार्टी आणंद जिले की उमरेठ, अहमदाबाद की नरोदा और दाहोद जिले की देवगढ़ बारिया सीट पर चुनाव लड़ेगी। फिलहाल इन तीनों सीटों पर बीजेपी का कब्जा है।
एक मीडिया हाउस के कार्यक्रम में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए अल्पेश ठाकोर ने कहा कि गुजरात में बीजेपी नंबर 1 पर है। कांग्रेस और आप के बीच नंबर दो के लिए लड़ाई है। कांग्रेस चुनाव में तीसरे नंबर पर रहेगी। 25 साल पहले का गुजरात लोगों ने देखा है। आज गुजरात विकसित हो रहा है।
ठाकोर ने कहा कि आरोप लगाया कि ‘चुनाव के समय कांग्रेस दिखती है। कांग्रेस ने एक आंदोलन किया हो वो बताइये, हमें लगता था हमारी बात सुनेंगे, पार्टी की अंदरूनी लड़ाई लोग हमें एक्सेप्ट नहीं कर पा रहे थी।’ अल्पेश ठाकोर ने बीजेपी में जुड़ने पर मिली हार की वजह बताते हुए कहा, ‘जब हम दूसरी पार्टी में गए तब लोगों को कन्वींस करने में विफल रहा, लेकिन आज जो पांच साल में मैंने काम किया, लोगों को पता चल गया कि विकास की ओर जाना है। वह तो पार्टी तय करेगी कहां लड़ना है। दो दिन पहले भी मैं वहां था, पार्टी बोलेगी तो यह चुनाव भी लडूंगा।’
एक ओपिनियन पोल का अनुमान है कि भाजपा को 127-140 सीटें मिल सकती हैं। कांग्रेस 24।36 सीटों पर जीत हासिल कर सकती है। आम आदमी पार्टी (आप) को 9-21 सीटों पर जीत हासिल हो सकती है। अन्य के खाते में 0-2 सीटें जाने की भविष्यवाणी की गई है। रिपब्लिक भारत और पी मार्क के ओपिनियन पोल का अनुमान है कि भाजपा को 46।2 फीसदी वोट मिल सकते हैं। कांग्रेस 28।4 फीसदी वोट पर कब्जा कर सकती है। आम आदमी पार्टी को 20।6 फीसदी वोट मिलने का अनुमान लगाया गया है। अन्य को 4।8 फीसदी वोट मिल सकते हैं।
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को वोट शेयर को जोड़ दिया जाए तो भाजपा को अनुमानित वोट से अधिक हो जाता है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुआई में गुजरात में मेहनत कर रही 'आप' भले ही तीसरे नंबर पर दिख रही हो, लेकिन शून्य से 20 फीसदी वोट शेयर के उछाल को भी बड़ी कामयाबी के रूप में देखा जा सकता है।