यूपी के चुनाव को लेकर पार्टियों की टिकट की लड़ाई में अब एक और सियासी सूरमा ने खेमा बदल लिया है .. यहां बात हो रही है श्रावस्ती से सपा के कद्दावर नेता रहे हाजी रमजान की जिनके टिकट कटने से उनके समर्थक नाराज बताए जा रहे थे और इसी नाराजगी के चलते वो सपा से 30 साल पुराना नाता तोड़ कांग्रेस का हाथ थाम लिए हैं ।
समाजवादी पार्टी की ओर से पहले हाजी मुहम्मद रमजान का टिकट लगभग तय माना जा रहा था उनकी राजनीति की शुरूआत भी सपा से जुड़ कर साल 1992 से हुई थी । पार्टी में उनकी गिनती सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव और पूर्व मंत्री आजम खान के करीबियों में की जाती थी । 30 साल तक सपा में रहने के दौरान वो विधायक और विधान परिषद् के सदस्य रहे । 2012 से 2017 तक विधायक रहे हाजी रमजान 2017 के चुनाव में बीजेपी की लहर में मामूली वोटों के अंतर से हार गए थे । उनकी पार्टी में हैसियत देखते हुए उनका साइकिल सिंबल पर इस चुनाव में उतरना तय माना जा रहा था ।
30 सालों तक समाजवादी साइकिल पर राजनैतिक सफर तय करने वाले हाजी रमजान टिकट के लिए काफी प्रयास किए लेकिन पार्टी के आला कमान की ओर से उनको निराशा ही हाथ लगी । जब तक चुनावी प्रचार चला वो खुद को ही श्रावस्ती से सपा का उम्मीदवार मान कर चल रहे थे लेकिन जैसे ही बारी टिकट बंटने की आई तो उनकी जगह बसपा के हाथी से कुछ दिन पहले ही उतर कर समाजवादी कुनबे में शामिल होने वाले मुहम्मद असलम राइनी को तरजीह दी गई और हाजी रमजान के साथ साथ उनके सैकड़ो कार्यकर्ता बागी हो गए और कांग्रेस का हाथ थाम लिया ।
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