कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी अपनी पार्टी को मुख्यधारा में लाने के लिए कोशिश कर रही है. लेकिन हालात ये है की पार्टी के नेताओं का विश्वास इस कोशिश पर फिका पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है. पश्चिम उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का जाना-माना मुसलमान चेहरा रहे इमरान मसूद ने कांग्रेस पार्टी छोड़ समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए हैं. इसका ऐलान इमरान मसूद ने अपने समर्थको के बीच किया. उन्होने ऐलान करते हुए कहा, ''हम लोगों ने बीजेपी की फ़ासीवादी सरकार को उखाड़ फेंकने का फ़ैसला किया है. ये काम समाजवादी पार्टी और उसके विकास के एजेंडे के ज़रिए ही किया जा सकता है. मसूद महज़ एक व्यक्ति नहीं है. मैं अपने समर्थकों से बना हूँ. हमलोग इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि सहारनपुर की सभी सात सीटों पर समाजवादी पार्टी को जीत मिले.''
वही मसूद ने ये भी कहा, ''मैं लखनऊ में अखिलेश यादव से मिला था. मैंने उनसे कहा था कि आपके नेतृत्व में ही सरकार बननी चाहिए. लेकिन मैंने कहा था कि अपने समर्थकों से बात करने के बाद ही घोषणा करूंगा.'' अंत में मसूद ने कार्यकर्ताओं से बात कर सपा में जुड़ने का ऐलान किया.
द हिंदू ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में सहारनपुर में कांग्रेस पार्टी को 2 सीटों पर जीत दिलाने में इमरान मसूद की काफी अहम भूमिका रही. सहारनपुर जिले की अगर हम बात करें तो यहां मुसलमान मतदाताओं की संख्या क़रीब 42 प्रतिशत है.
इमरान मसूद पश्चिम उत्तरप्रदेश में मुस्लिम वोटरों के लिए बड़ा नाम है. मसूद मुज़फ़्फ़राबाद से निर्दलीय विधायक भी रहे हैं. 2008 के परिसीमन में मुज़फ़्फराबाद विधानसभा सीट का नाम बदलकर बेहट कर दिया था. इमरान मसूद पूर्व केंद्रीय मंत्री और उस इलाक़े के कद्दावर नेता राशिद मसूद के भतीजे हैं. शुरूवात में इमरान कांग्रेस और सपा पार्टी में गठबंधन की वकालत करते थे लेकिन बाद में उन्होंने कहा की समाजवादी पार्टी ही भाजपा को हरा सकती है.
2014 के लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ यूपी के कद्दावर नेता इमरान मसूद के भाषण का एक वीडियो काफ़ी वायरल हुआ. जिसके बाद इमरान मसूद की सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने वाले नेता का तौर पर छवि बनी. अख़बार लिखता है की इमरान मसूद के वर्तमान में कांग्रेस छोड़ सपा में शामिल होने से न केवल सहारनपुर में असर होगा बल्कि आसपास के ज़िलों में भी इसका काफी प्रभाव दिखेगा.
सुनने को मिल रहा है कि सहारनपुर ग्रामीण से कांग्रेस विधायक मसूद अख़्तर भी सपा पार्टी में शामिल हो सकते है. अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार, चौकाने वाली बात यह है की इमरान मसूद राहुल और प्रियंका गांधी के विश्वासपात्र माने जाते थे. लेकिन उनका पार्टी बदलना आलाकमान के विश्वास पर चोट करना है. इमरान मसूद की कांग्रेस में अहमियत के कारण ही उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया था और वे AICC दिल्ली के प्रभारी भी थे.
सोमवार को इमरान मसूद कहते है की उनके मन में कांग्रेस पार्टी के लिए बड़ा आदर है लेकिन उनका कहना की पार्टी अभी उत्तर प्रदेश में बीजेपी को हराने में सक्षम नहीं है. दूसरी और अंदर खाने ये बात कही जा रही है की जो पार्टी अपने कद्दावर नेता आज़म ख़ान का चुनाव में जिक्र ही नहीं कर रही है वो भला इमरान मसूद का इस्तेमाल किस तरह करेगी. क्या कोई प्लान है सपा के पास? ।
जानकारों का मानना है कि इमरान मसूद भले ही चुनाव में ना उतरे, लेकिन उनकी अपील ही समाजवादी पार्टी के बहुत काम आएगी. 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा को सहारनपुर में केवल 1 सीट पर जीत दर्ज हुई थी. इस इलाक़े में समाजवादी पार्टी की जंग ना केवल बीजेपी से बल्कि AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी से भी है.
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