यूपी राजनीति का सबसे प्रासांगिक चेहरा हैं योगी आदित्यनाथ, गोरखनाथ का अजय मोहन बिष्ट कैसे बना देश के सबसे बड़े सूबे का मुखिया ?

आदित्यनाथ के बचपन में झांक कर देखा जाए तो उनके ऊपर लिखी जीवनी 'यदा यदा हि योगी' में ये भी जानने को मिलेगा की कॉलेज के दिनों में 'फैशनेबल, चमकदार, टाइट कपड़े और आंखों पर काले चश्मे' पहनने का भी उन्हें शौक़
यूपी राजनीति का सबसे प्रासांगिक चेहरा हैं योगी आदित्यनाथ, गोरखनाथ का अजय मोहन बिष्ट कैसे बना देश के सबसे बड़े सूबे का मुखिया ?

यूपी राजनीति का सबसे प्रासांगिक चेहरा हैं योगी आदित्यनाथ, गोरखनाथ का अजय मोहन बिष्ट कैसे बना देश के सबसे बड़े सूबे का मुखिया ?

सौजन्य- अमर उजाला  

वो युवा हैं लेकिन कोई युवाओं का सरताज नहीं कहता, वो नेता हैं लेकिन सिर्फ युवाओं के नेता नहीं, पर आरोप लगता है कि वो धर्म की राजनीति करते हैं, आरोप है कि वो एक समुदाय विशेष को तवजो देते हैं । एक राजनेता जो भगवा चोला पहनते हैं लेकिन दामन पर आरोपों के कई दाग़ भी है।

अजय मोहन बिष्ट उर्फ योगी आदित्यनाथ

अजय मोहन बिष्ट उर्फ योगी आदित्यनाथ जिनका जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के पंचूर गांव में हुआ। पौड़ी का अजय मोहन बिष्ट गोरखपुर पहुंचा कुछ ही दिनों में गोरखपुर की पहचान बन गया और फिर वो दिन भी आया जब पूरे देश ने उनके राजनैतिक तेवर देखे, और फिर देखा देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनते हुए।

कुछ दिलचस्प किस्से
वैसे तो जब से वो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तब से ही वो चर्चा में बने रहे है कभी अपने तल्ख तेवरों की वजह से तो कभी अपने बयानों से लेकिन उन पर लिखी एक किताब है जो कुछ दिलचस्प किस्से उनके बारे में बयां करती है । आज भगवा पहन कर रहने वाले योगी आदित्यनाथ के बचपन में झांक कर देखा जाए तो उनके ऊपर लिखी जीवनी 'यदा यदा हि योगी' में ये भी जानने को मिलेगा की कॉलेज के दिनों में 'फैशनेबल, चमकदार, टाइट कपड़े और आंखों पर काले चश्मे' पहनने का भी उन्हें शौक़ था, लेकिन 1994 में दीक्षा लेने के बाद वे अजय मोहन बिष्ट से योगी आदित्यनाथ बने।
<div class="paragraphs"><p>FILE PHOTO</p></div>

FILE PHOTO

90 के दशक में अयोध्या में राम मंदिर का मुद्दा चरम पर था उसी दौरान योगी आदित्यनाथ ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के एक कार्यक्रम में गोरखनाथ मंदिर के महंत अवैद्यनाथ से मुलाकात की थी, और कुछ ही दिनों के बाद योगी अपने माता-पिता को बताए बिना गोरखपुर पहुंचे और संन्यास लेने का निर्णय लेते हुए गुरु दीक्षा ली, और 2 साल में ही उत्तराधिकारी भी बन गए

योगी आदित्यनाथ के राजनीति में कदम

बचपन से ही राजनिति में रूची होने के कारण योगी आदित्यनाथ ने अपने कॉलेज में छात्र संघ का चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन आरएसएस से जुड़े छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने उन्हें टिकट नहीं दिया, और वह एक निर्दलीय के रूप में लड़े, लेकिन हार गए।

चुनावों में योगी को प्रचंड बहुमत
बता दे महंत अवैद्यनाथ गोरखपुर से चार बार सांसद रहे, इसके बाद इसी सीट से योगी आदित्यनाथ 26 साल की उम्र में गोरखपुर से प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा अब इसे योगी की किस्मत कहें या वक्त का बदलाव इन चुनावों में योगी को प्रचंड बहुमत मिला और सांसद के रूप में पहली बार लोकसभा पहुंचे, कुर्सी संभालने के बाद योगी आदित्यनाथ ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और फिर 2002 में हिंदू युवा वाहिनी का गठन किया, हिंदू युवा वाहिनी के गठन के बाद योगी की काफी आलोचना हुई, लेकिन उन्होंने अपने आत्मविश्वास के आगे किसी की नहीं सुनी, 1998 में लोकसभा पहुंचे और फिर 2017 तक लगातार पांच बार सांसद बने रहे।

क्या योगी के चेहरे की वजह से मिली सत्ता ?

जनता का विश्वास होता गया और योगी आगे बढ़ते रहे 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने योगी को पूरे राज्य में प्रचार के लिए बुलाया, इस चुनाव में बीजेपी को सबसे ज्यादा सीटें योगी के चेहरे की वजह से मिली हैं, 19 मार्च, 2017 को उत्तर प्रदेश के भाजपा विधायक दल की बैठक में योगी आदित्यनाथ विधायक दल के नेता चुने गए। सीएम की कुर्सी पर बैठते ही योगी आदित्यनाथ ने एक के बाद एक कई कार्रवाइयां की, जो न सिर्फ सुर्खियां बटोरीं बल्कि राज्य में स्थिति को भी ठीक किया।

<div class="paragraphs"><p>यूपी राजनीति का सबसे प्रासांगिक चेहरा हैं योगी आदित्यनाथ, गोरखनाथ का अजय मोहन बिष्ट कैसे बना देश के सबसे बड़े सूबे का मुखिया ?</p></div>
Uttar Pradesh: योगी सरकार का बड़ा ऐलान, स्ट्राइक की तो अब खैर नहीं, जानिए क्या है पूरा मामला ?

Related Stories

No stories found.
logo
Since independence
hindi.sinceindependence.com