वो युवा हैं लेकिन कोई युवाओं का सरताज नहीं कहता, वो नेता हैं लेकिन सिर्फ युवाओं के नेता नहीं, पर आरोप लगता है कि वो धर्म की राजनीति करते हैं, आरोप है कि वो एक समुदाय विशेष को तवजो देते हैं । एक राजनेता जो भगवा चोला पहनते हैं लेकिन दामन पर आरोपों के कई दाग़ भी है।
अजय मोहन बिष्ट उर्फ योगी आदित्यनाथ
अजय मोहन बिष्ट उर्फ योगी आदित्यनाथ जिनका जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के पंचूर गांव में हुआ। पौड़ी का अजय मोहन बिष्ट गोरखपुर पहुंचा कुछ ही दिनों में गोरखपुर की पहचान बन गया और फिर वो दिन भी आया जब पूरे देश ने उनके राजनैतिक तेवर देखे, और फिर देखा देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनते हुए।
90 के दशक में अयोध्या में राम मंदिर का मुद्दा चरम पर था उसी दौरान योगी आदित्यनाथ ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के एक कार्यक्रम में गोरखनाथ मंदिर के महंत अवैद्यनाथ से मुलाकात की थी, और कुछ ही दिनों के बाद योगी अपने माता-पिता को बताए बिना गोरखपुर पहुंचे और संन्यास लेने का निर्णय लेते हुए गुरु दीक्षा ली, और 2 साल में ही उत्तराधिकारी भी बन गए
योगी आदित्यनाथ के राजनीति में कदम
बचपन से ही राजनिति में रूची होने के कारण योगी आदित्यनाथ ने अपने कॉलेज में छात्र संघ का चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन आरएसएस से जुड़े छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने उन्हें टिकट नहीं दिया, और वह एक निर्दलीय के रूप में लड़े, लेकिन हार गए।
क्या योगी के चेहरे की वजह से मिली सत्ता ?
जनता का विश्वास होता गया और योगी आगे बढ़ते रहे 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने योगी को पूरे राज्य में प्रचार के लिए बुलाया, इस चुनाव में बीजेपी को सबसे ज्यादा सीटें योगी के चेहरे की वजह से मिली हैं, 19 मार्च, 2017 को उत्तर प्रदेश के भाजपा विधायक दल की बैठक में योगी आदित्यनाथ विधायक दल के नेता चुने गए। सीएम की कुर्सी पर बैठते ही योगी आदित्यनाथ ने एक के बाद एक कई कार्रवाइयां की, जो न सिर्फ सुर्खियां बटोरीं बल्कि राज्य में स्थिति को भी ठीक किया।
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