ग्रीन हाऊस गैसों को दुसरी गैस में परिवर्तिन करने से ग्लोबल वार्मिग प्रभाव से बचा जा सकता है – स्टैनफोर्ड युनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने किया दावा

ग्लोबल वार्मिंग के कुप्रभावों से बचने के लिए दुनिया भऱ की युनिवर्सिटीस अलग-अलग शोध कर रही है...ग्लोबल वार्मिंग के कुप्रभावों से बचने के लिए दुनिया भऱ की युनिवर्सिटीस अलग-अलग शोध कर रही है...
ग्रीन हाऊस गैसों को दुसरी गैस में परिवर्तिन करने से ग्लोबल वार्मिग प्रभाव से बचा जा सकता है – स्टैनफोर्ड युनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने किया दावा
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नई दिल्ली – ग्लोबल वार्मिग के दोषों से बचा जा सकता है। वैज्ञानिकों ने ऐसा दावा किया है. नेचर सस्टेनबिलिटी जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि वायुमंडल में जानबूझकर कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ना थोड़ा असहज करने वाला है, पर इससे वायुमंडल में मौजूद मीथेन को खत्म करने में मदद मिलती है और यह जलवायु के लिए लाभकारी हो सकता है। इससे कितना फर्क होगा ये तो खैर समय बताएगा लेकिन जो दावे किए जा रहे वो सच है तो यह ग्लोबल वार्मिग से बचने के लिए अच्छे उपाया किए जा सकते है।

अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसररॉब जैक्सन ने कहा कि यदि ऐसा संभव हो जाए तो यह तकनीक वायुमंडल में मीथेन और अन्यगैसों की सांद्रता वैसी बरकरार रख सकती हैं, जैसी कारखानोंऔर उद्योगों के लगने से पहले थी।

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने दावा कियाहै एक ग्रीन हाउस गैस को अन्य में परिवर्तित करने से ग्लोबल वार्मिंग के कुप्रभावोंसे बचा जा सकता है। मीथेन गैस को कार्बन डाइऑक्साइड में बदलकर जलवायु परिवर्तन की जंगजीत सकते हैं। ऐसा दावा स्टैनफोर्ड के वैज्ञानिकों ने किया है एक ग्रीन हाउस गैस कोदुसरी गैस में को दुसरी गैस में परिवर्तित करने से ग्लोबल वार्मिंग के पडने वाले कुप्रभावोंसे बचा जा सकता है।

मीथेन गैस उत्‍पन्‍न होने के शुरुआत के बीस वर्षों  की तुलना में कार्बन डाइऑक्साइड के मुकाबले 84 गुनाज्यादा गर्म रहती  है। एक स्टडी में दावा कियाजाता रहा कि 2018 में मानव निर्मित 60 फीसद मीथेन वायुमंडल में पहुंची। इस स्टडी मेंयह भी दावा किया जाता रहा कि वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड गैस का स्तर बहुत ज्यादाहै। ऐसे में यह शोध  कितना सफल होगा और कितनासमय लगेगा यह तो वैज्ञानिक ही बता पायेगें।

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