इलाज से मौत तक का हर सफर दर्दनाक; राजस्थान में पिता को बेटी का शव कंधे पर उठाकर लेजाना पड़ा

सरकारी अस्पतालों में अब लग रहे हर काम के पैसे
इलाज से मौत तक का हर सफर दर्दनाक; राजस्थान में पिता को बेटी का शव कंधे पर उठाकर लेजाना पड़ा

डेस्क न्यूज़: देश में कोरोना की दूसरी लहर ने कोहराम मचा दिया है। न इलाज मिल रहा है, न ही मौत होने पर अंतिम संस्कार के लिए शमसान। इलाज हो या मौत मरीजों के परिजन संघर्ष करते नजर आ रहे हैं। ऐसा ही एक मामला राजस्थान के कोटा में सामने आया। जहां वार्ड बॉय ने मृत बेटी के शव को वार्ड से बाहर लाने के लिए पिता से एक हजार रुपये की मांग की। इतना ही नहीं एंबुलेंस चालक ने कोटा से झालावाड़ जाने के लिए 35 हजार रुपये की मांग रखी। थके-हारे पिता ने बेटी के शव को लेकर कैसे जैसे अस्पताल से निकले और शव को अपनी कार से झालावाड़ ले गए।

कोटा के डीसीएम इलाके की रहने वाली मधुराजा ने बताया कि उनकी भतीजी सीमा (34) झालावाड़ में रहती थी। कोरोना पॉजिटिव आने पर उन्हें 7 मई को कोटा के नए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। एचआरसीटी परीक्षण में 22/25 का सीटी स्कोर था, जिसमें सैचुरेशन 31 था। उन्हें गंभीर स्थिति में आईसीयू में स्थानांतरित कर दिया गया था। धीरे-धीरे उनकी सेहत में सुधार होने लगा। बिना ऑक्सीजन सपोर्ट के सैचुरेशन 60 के ऊपर पहुंच गया था।

ICU में बेड खाली करने के लिए जनरल वार्ड में कर दिया शिफ्ट

मधुराजा ने कहा कि उन्हें आईसीयू में हाई फ्लो ऑक्सीजन पर रखा गया था। 20 मई को डॉक्टरों ने उसे जनरल वार्ड (टीबी वार्ड) में शिफ्ट करने को कहा। परिवार ने स्टाफ और डॉक्टरों से अपील की कि उसे अभी भी हाई फ्लो ऑक्सीजन की जरूरत है। इसे आईसीयू में रहने दें। लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी और कहा कि दूसरे गंभीर मरीज को शिफ्ट करना है। आईसीयू के बेड खाली करने पड़े। जनरल वार्ड में ऑक्सीजन सप्लाई का कोई इंतजाम नहीं था। उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। इसके बाद 23 मई को उनकी मौत हो गई।

सरकारी अस्पतालों में अब लग रहे हर काम के पैसे

मधुराजा ने बताया कि बिना पैसे के यहां कोई काम नहीं होता। हर आदमी को पैसा देना पड़ता है। निजी अस्पतालों में भी ऐसा नहीं होता। सीमा के शव को वार्ड से बाहर लाने के लिए काफी परेशानी उठानी पड़ी। पहले वार्ड बॉय ने एक हजार रुपये की मांग की। रुपये न देने पर शव को हाथ तक नहीं लगाया। शव को वार्ड से नीचे स्ट्रेचर पर लाएं। फिर जैसे ही सीमा के पिता ने शव को कंधे पर रखा और गाड़ी के पास पहुंचे। झालावाड़ शव लेने के लिए यहां खड़े एंबुलेंस चालक से बात की। एक एंबुलेंस चालक ने 35 हजार किराया बताया। दूसरे ने 18 हजार जबकि तीसरे ने 15 हजार रुपए बताए।

कार में सीट बेल्ट बांध लेजाना पड़ा शव

उन्होंने बताया कि इसके बाद सीमा के पिता ने अपनी कार से ही शव ले जाने का फैसला किया। शव को कार की आगे की सीट पर रखा गया और सीट बेल्ट से बांध दिया गया। इस तरह वे झालावाड़ पहुँचने में सफल रहे। इस दौरान एक अन्य परिवार शव को अपनी कार में लेकर जा रहा था। वहां कोई वार्ड ब्वॉय भी नहीं था। परिजनों ने खुद स्ट्रेचर से शव उठाकर कार में रखा।

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