सोशल मीडिया पर मंदिर की एक तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है। तस्वीर में मंदिर पर एक बुलडोजर दौड़ता नजर आ रहा है | दावा किया जा रहा है कि मंदिर तोड़े जाने की यह तस्वीर उत्तर प्रदेश के काशी शहर की है। हमने वायरल पोस्ट की विस्तार से पड़ताल की। हमें पता चला कि वायरल पोस्ट फर्जी है। वायरल हो रही तस्वीर काशी की नहीं, जयपुर की है और करीब 6 साल पुरानी है। कुछ लोग वायरल तस्वीर को माहौल खराब करने के लिए काशी बताकर वायरल कर रहे हैं |
वायरल तस्वीर को शेयर करते हुए ट्विटर यूजर बाबा नूर मोहम्मद ने लिखा कि औरंगजेब ने काशी में मंदिर तोड़ा। काश मोदी जी देश के प्रधानमन्त्री होते और उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री योगी जी हिन्दुओं के धार्मिक स्थल की ओर आँख भी न उठा पाते।
वायरल पोस्ट का कंटेंट वैसा ही है जैसा यहां लिखा गया है। पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखें। यूजर्स इस दावे को फेसबुक पर शेयर भी कर रहे हैं।
अपनी पड़ताल के दौरान, हमें 9 जुलाई, 2015 को द क्विंट की वेबसाइट पर प्रकाशित वायरल तस्वीर पर एक और रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट में वायरल तस्वीर से जुड़ी कुछ अन्य तस्वीरें भी प्रकाशित हुईं। रिपोर्ट में दी गई जानकारी के मुताबिक लोगों के विरोध के बाद मंदिर के पुनर्निर्माण का फैसला लिया गया|
वायरल दावा झूठा है , यह तस्वीर जयपुर के रोजगारेश्वर महादेव की है । जिसे लोग अब गलत दावे के साथ काशी का बता कर शेयर कर रहे हैं ।
जांच के अंत में, हमने इस पोस्ट को साझा करने वाले ट्विटर उपयोगकर्ता बाबा नूर मोहम्मद की सोशल स्कैनिंग की। स्कैनिंग से हमें पता चला कि यूजर एक खास विचारधारा से प्रभावित है। ट्विटर पर यूजर के 5 हजार से ज्यादा फॉलोअर्स हैं और यह अकाउंट जनवरी 2021 से एक्टिव है ।
सीन्स इंडिपेंडेस ने वायरल पोस्ट की विस्तार से जांच की। हमें पता चला कि वायरल पोस्ट फर्जी है। वायरल हो रही तस्वीर काशी की नहीं, जयपुर की है और करीब 6 साल पुरानी है। कुछ लोग वायरल तस्वीर को माहौल खराब करने के लिए काशी बताकर वायरल कर रहे हैं ।
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