आप सांसद संजय सिंह की मांग : आंदोलन में शहीद हुए किसान परिवारों को एक – एक करोड़ का मुआवजा

आदमी आदमी पार्टी ने किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों के परिवार को एक-एक करोड़ मुआवजा, सरकारी नौकरी और शहीद का दर्जा दिया जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से तीनों कृषि कानून वापस लिए जाने की घोषणा के बाद पार्टी की तरफ से यह मांग उठाई गई है
आप सांसद संजय सिंह की मांग : आंदोलन में शहीद हुए किसान परिवारों को एक – एक करोड़ का मुआवजा

आदमी आदमी पार्टी ने किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों के परिवार को एक-एक करोड़ मुआवजा, सरकारी नौकरी और शहीद का दर्जा दिया जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से तीनों कृषि कानून वापस लिए जाने की घोषणा के बाद पार्टी की तरफ से यह मांग उठाई गई है |आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह की तरफ से इसका वीडियो जारी किया गया।

बोले 700 से ज्यादा किसानो ने जान गंवाई

सांसद संजय सिंह ने कहा कि इस आंदोलन में 700 से ज्यादा किसानों ने अपनी जान गंवाई है। अगर सरकार ने पहले ही बात मान ली होती तो यह किसान आज अपने परिवार के साथ घरों में सुरक्षित होते। प्रदेश प्रभारी संजय सिंह मोदी सरकार के अन्याय पर किसानों की जीत बताई है. उन्होंने अपने बयान में किसानों को उसके लिए ढेरों बधाई दी।

वीडियो में उन्होंने कहा कि भारत के अन्नदाता किसानों पर एक साल तक घोर अत्याचार हुआ। सैकड़ों किसानों की शहादत हुई। अन्नदाताओं को आतंकवादी कह कर अपमानित किया गया | इस पर मौन क्यों रहे मोदी जी ? देश समझ रहा है चुनाव में हार के डर से तीनों काला कानून वापस हुआ। इस पूरे मामले पर आम आदमी पार्टी का पक्ष रखने के लिए लखनऊ में पार्टी कार्यालय पर प्रेस वार्ता का भी आयोजन किया गया है।

यह प्रजातंत्र की जीत है

आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सभाजीत सिंह ने से मोदी सरकार के इस फैसले को प्रजातंत्र की जीत बताया है।

उन्होंने कहा कि अत्याचार की हार हुई है | किसानों में खुशी का माहौल

मोदी सरकार की तरफ से लिए गए इस फैसले से किसानों में काफी खुशी का माहौल है। प्रदेश अध्यक्ष सभाजीत सिंह ने कहा कि सितंबर 2020 में मोदी सरकार की तरफ से काले कानून को लागू किया गया था। सरकार के इस कानून के कारण देश भर का किसान परेशान था। देशभर में किसानों के बीच इसको लेकर काफी आक्रोश रहा है. पंजाब और उत्तर प्रदेश के चुनावों के पहले यह फैसला लिया गया है। इसके कई मायने भी है. सरकार डर चुकी है।

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