Modi Address to Nation: किसानों के आगे झुकी मोदी सरकार, 14 महीने बाद लिए तीनों कृषि कानून वापस, जानें क्या हैं ये तीन कानून

पिछले एक साल से किसान आंदोलन की वजह बने तीनों नए कृषि कानून केंद्र सरकार ने वापस ले लिए हैं। राष्ट्र को संबोधित करते हुए, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है।
Image Credit: Navbharat Times
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पिछले एक साल से किसान आंदोलन की वजह बने तीनों नए कृषि कानून केंद्र सरकार ने वापस ले लिए हैं। राष्ट्र को संबोधित करते हुए, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है। उन्होंने अपने संबोधन में कहा की, 'आज मैं आपको, पूरे देश को यह बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है। इस महीने के अंत में शुरू हो रहे संसद सत्र में हम इन तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा करेंगे।

पीएम ने लिया जीरो बजट खेती को बढ़ावा देने का फैसला

उन्होंने कहा, 'आज ही सरकार ने कृषि क्षेत्र से जुड़ा एक और अहम फैसला लिया है। जीरो बजट खेती यानी प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने, देश की बदलती जरूरतों को ध्यान में रखते हुए फसल पैटर्न में वैज्ञानिक बदलाव करने, भविष्य को ध्यान में रखते हुए ऐसे सभी विषयों पर एमएसपी को ज्यादा प्रभावी और पारदर्शी बनाने और निर्णय लेने के लिए एक कमेटी का गठन किया जाएगा। इस समिति में केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के प्रतिनिधि, किसान, कृषि वैज्ञानिक और कृषि अर्थशास्त्री शामिल होंगे।

Image Credit: The Indian Express
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'नेक नीयत से लाए थे कानून, लेकिन किसानों को नहीं समझा सके' – मोदी

पीएम मोदी ने कहा की, 'हमारी सरकार यह कानून किसानों के लिए विशेष रूप से छोटे किसानों के हित में किसानों के प्रति पूरी निष्ठा के साथ लाई थी, लेकिन हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को यह नहीं समझा सके। हम बड़ी विनम्रता से किसानों को समझाते रहे। बातचीत जारी रही। हमने किसानों को समझने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सरकार कानून के उन प्रावधानों को बदलने पर राजी हो गई, जिन पर उन्हें आपत्ति थी। दोस्तों आज गुरुनानक देव जी का पावन पर्व है। यह समय किसी को दोष देने का नहीं है। मैं आज पूरे देश को यह बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है। इसी महीने हम कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया पूरी कर लेंगे।

तीनों कृषि कानून, जिसके खिलाफ आंदोलन कर रहे थे किसान

1. किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020

इस कानून में ऐसा इकोसिस्टम बनाने का प्रावधान है, जहां किसानों और व्यापारियों को मंडी के बाहर फसल बेचने की आजादी होगी। यह कानून अंतर-राज्य और दो राज्यों के बीच व्यापार को बढ़ावा देना चाहता है। इसके साथ ही मार्केटिंग और ट्रांसपोर्टेशन की लागत कम करने की बात भी इस कानून में है।

2. कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून, 2020

इस कानून में कृषि समझौतों पर राष्ट्रीय रूपरेखा का प्रावधान किया गया है। यह किसानों को कृषि उत्पादों, कृषि सेवाओं, कृषि व्यवसाय फर्मों, प्रोसेसर्स, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं और निर्यातकों की बिक्री से जोड़ता है। इसके साथ ही इस कानून में किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध कराने, फसल स्वास्थ्य की निगरानी, ​​ऋण की सुविधा और फसल बीमा की सुविधा देने की बात कही गई है।

3. आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020

इस कानून में आवश्यक वस्तुओं की सूची से अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू को हटाने का प्रावधान है। सरकार के मुताबिक इससे किसानों को उनकी फसलों का सही दाम मिल सकेगा, क्योंकि बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।

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