कोरोना के डर से 157 शव श्मशान घाट के दरवाजे पर छोड़ गए, इस शख्स ने कराया अंतिम संस्कार

दिल्ली में कोरोना महामारी के दौरान नए संक्रमित रोगियों के साथ-साथ मौतों की संख्या बढ़ रही है। ऐसे में कोरोना संक्रमित लोगों की लाशों का दाह संस्कार एक बड़ी चुनौती बन गया है। लोगों के लिए स्थिति मुश्किल हो जाती है जब पूरा परिवार संक्रमित होता है और सदस्यों में से एक की मृत्यु हो जाती है। कोरोना की वजह से रिश्तेदारों, पड़ोसियों की मदद नहीं मिलने पर मृतक का अंतिम संस्कार करने वाले कोई नहीं होता है
कोरोना के डर से 157 शव श्मशान घाट के दरवाजे पर छोड़ गए, इस शख्स ने कराया अंतिम संस्कार

दिल्ली में कोरोना महामारी के दौरान नए संक्रमित रोगियों के साथ-साथ मौतों की संख्या बढ़ रही है। ऐसे में कोरोना संक्रमित लोगों की लाशों का दाह संस्कार एक बड़ी चुनौती बन गया है। लोगों के लिए स्थिति मुश्किल हो जाती है जब पूरा परिवार संक्रमित होता है और सदस्यों में से एक की मृत्यु हो जाती है। कोरोना की वजह से रिश्तेदारों, पड़ोसियों की मदद नहीं मिलने पर मृतक का अंतिम संस्कार करने वाले कोई नहीं होता है। हालांकि, कोरोना संक्रमित परिवारों की मदद के लिए कई संस्थाएं व संगठन सामने आ रहे हैं। इनमें से एक नाम हैं जितेंद्र सिंह शंटी का। शंटी अपने संगठन भगत सिंह सेवा दल के जरिये कोरोना संक्रमित शवों के अंतिम संस्कार में मदद कर रहे हैं।

जितेंद्र सिंह शंटी कहते हैं कि उनके शहीद भगत सिंह सेवा दल इस क्षेत्र में पिछले 25 वर्षों से काम कर रहे हैं

जितेंद्र सिंह शंटी कहते हैं कि उनके शहीद भगत सिंह सेवा दल इस क्षेत्र में पिछले 25 वर्षों से काम कर रहे हैं।

वह फ्री में लोगों का अंतिम संस्कार करने के लिए 18 एम्बुलेंस के माध्यम से मदद कर रहे है।

उन्होंने कहा कि मेरे दोनों बेटे भी इस काम में मेरी मदद करते हैं।

शंटी का कहना है कि उनकी टीम, जिसमें ड्राइवर और अंतिम संस्कार योद्धा शामिल हैं, समर्पण के साथ काम करते है।

शंटी ने बताया कि इस महामारी के समय में लोग अपने पिता को उठाने से डरते हैं।

उन्होंने कहा कि आज भी रोजाना 40 से 50 कॉल उनके पास आ रहे हैं,

जिसमें यह कहा जाता है कि घर में शव है और इसे उठाने वाला कोई नहीं है।

जितेंद्र सिंह शंटी ने  पिछला कोरोना का काल में 967 शवों का अंतिम संस्कार कराया था

जितेंद्र सिंह शंटी ने बताया कि जब पिछला कोरोना का काल आया था तब मैंने 967 शवों का अंतिम संस्कार कराया था।

उस समय मैं मेरी पत्नी और बच्चे और साथ ही मेरे कर्मचारी भी कोरोना संक्रमित हो गए थे।

उन्होंने कहा कि कोरोना में लोगों की सेवा करते हुए उनके ड्राइवर 55 वर्षीय आरिफ खान भी शहीद हो गए।

उन्होंने कहा कि कोरोना की यह लहर आई है, अब तक एक महीने के भीतर हमने 1352 शवों का अंतिम संस्कार किया है।

शंटी ने कहा कि अब तक मारे गए 1352 शवों में से 153 ऐसे शव थे, जिन्हें लोगों ने श्मशान के दरवाजे तक छोड़ दिया।

टोरंटो, दुबई और अमेरिका से फोन आ रहे हैं कि हमारे परिवार का शव दो दिनों से घर में पड़ा है

जितेंद्र सिंह शंटी ने कहा कि मुझे टोरंटो, दुबई और अमेरिका से फोन आ रहे हैं कि

हमारे परिवार का शव दो दिनों से घर में पड़ा है। उसे उठाएं और उसका अंतिम संस्कार करें।

उन्होंने बताया कि जब वे लोग प्रशासन को फोन करते हैं,

तो उन्हें वहां से जवाब मिलता है कि हमारे पास ऐसा कोई साधन नहीं है।

आप शहीद भगत सिंह सेवा दल को फोन करो।

उन्होंने कहा कि पिछले 25 वर्षों का हमारा अनुभव इस संकट की घड़ी में उपयोगी था।

उन्होंने कहा कि हमें प्रशासन ने कहा कि आप अपनी एंबुलेंस लगा दो तो हमने लगा दी।

पहले एंबुलेंस फिर शव वाहन भी लोगों की मदद के लिए लगाए।

जितेंद्र सिंह शंटी शहादरा विधानसभा क्षेत्र से विधायक भी रह चुके हैं।

Like and Follow us on :

Related Stories

No stories found.
logo
Since independence
hindi.sinceindependence.com