मोदी सरकार अपने विनिवेश लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है। ऐसी खबर है कि सरकार 10 और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों/सरकारी कंपनियों में विनिवेश कर सकती है। इसके लिए सरकार इनके निजीकरण या ऑफर फॉर सेल यानी OFS रूट का सहारा ले सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नीति आयोग और विनिवेश के लिए जिम्मेदार DIPAM इस विषय पर मिलकर रोडमैप तैयार करेंगे।
कैबिनेट सेक्रेटरी राजीव गौबा की अगुवाई वाले विनिवेश पैनल ने समीक्षा के
लिए 20 मई को एक बैठक की थी। ऐसी खबर है कि इस बैठक में 7 सरकारी
कंपनियों के विनिवेश को लेकर चर्चा की गई।
इनमें नेवेली लिग्नाइट, KIOCL, SJVN, हुडको, MMTC, जनरल इंश्योरेंस
ऑफ इंडिया, न्यू इंडिया एश्योरेंस शामिल हैं।
इनमें या तो सरकार अपनी पूरी हिस्सेदारी बेच सकती है या फिर OFS रूट का सहारा ले सकती है।
इसके अलावा तीन अन्य सरकारी उपक्रमों इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉरपोरेशन, रेल विकास निगम, मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स को भी मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग नॉर्म्स के तहत एक बार फिर विनिवेश के लिए रखे जाने की खबर है। इन तीन कंपनियों के लिए OFS के वित्त वर्ष 2021-22 या फिर वित्त वर्ष 2022-24 में आने की संभावना है। सेबी के मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग नियमों का पालन अभी 19 सरकारी उपक्रमों को करना है। SEBI के नियम के तहत पब्लिक सेक्टर कंपनियों के लिए मिनिमम पब्लिक शेयर होल्डिंग 25 फीसदी होना जरूरी है।
सरकार ने 4 फरवरी 2021 को नई पीएसई पॉलिसी को अधिसूचित किया था। नई पॉलिसी के तहत सरकारी उपक्रमों के लिए स्ट्रैटेजिक और नॉन स्ट्रैटेजिक सेक्टर्स को वर्गीकृत किया गया है। स्ट्रैटेजिक सेक्टर्स में सरकार न्यूनतम सरकारी उपक्रमों पर नियंत्रण बनाए रखेगी और शेष उद्यमों का निजीकरण/विलय या उन्हें बंद कर देगी। नॉन स्ट्रैटेजिक सेक्टर्स में सरकार सरकारी उपक्रमों के निजीकरण या उन्हें बंद करने पर विचार करेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2021 में वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 1.75 लाख करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य घोषित किया था।