न्यूज – वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि अर्थव्यवस्था मुश्किल में नहीं है और देश के 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में बढ़ने के साथ ही सकारात्मक संकेत दिखने लगे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा सूचीबद्धता की दिशा में की गईं पहल, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में बढ़ोतरी, कारखाना उत्पादन में इजाफा और पिछले तीन महीनों के दौरान एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा जीएसटी संग्रह अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे संकेत हैं।
लोकसभा में आम बजट पर चल रही बहस का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, 'ऐसे सात अहम संकेतक हैं, जिनसे पता चलता है कि अर्थव्यवस्था मजबूती की ओर बढ़ रही है और यह संकट में नहीं है।' सकारात्मक संकेतकों का उल्लेख करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार अपने उच्चतम स्तर पर है और शेयर बाजार में उत्साह बना हुआ है। उन्होंने कहा कि सरकार का जोर मुख्य रूप से आर्थिक विकास के चार इंजनों पर है, जिनमें निजी निवेश, निर्यात, निजी और सार्वजनिक खपत शामिल हैं।
सार्वजनिक निवेश के संबंध में उन्होंने कहा कि दिसंबर में सरकार ने नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन का एलान किया था। उन्होंने कहा कि सरकार की इसके माध्यम से अगले चार साल (2024-25 तक) में बुनियादी ढांचे के विकास पर 103 लाख करोड़ रुपये के निवेश की योजना है। खपत बढ़ाने के लिए सरकार ने 2019-20 के लिए रबी और खरीफ फसलों न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी कर दी है।
वित्त मंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था का आकार लगातार बढ़ रहा है, जो 2014-15 में 20 खरब डॉलर के आसपास थी और यह 2019-20 में बढ़कर 29 खरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि वैश्विक धारणा भारत के पक्ष में है और अप्रैल से नवंबर, 2019 के दौरान देश में 24.4 अरब डॉलर का एफडीआई आया, जबकि बीते साल समान अवधि में यह 21.2 अरब डॉलर रहा था। औद्योगिक गतिविधियां बढ़ रही हैं और दो महीने की गिरावट के बाद नवंबर में औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) में 1.8 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई।