डेस्क न्यूज़ – मानव जीवन का कोई पहलू नहीं है जहां कोरोना वायरस प्रभावित नहीं है। अब देश में 5 जी सेवा में भी देरी होगी और कोरोना संक्रमण भी जिम्मेदार है। यह बताया जाता है कि केंद्र सरकार के दूरसंचार विभाग (DoT) ने 5G रेडोवावे के बिना दूरसंचार स्पेक्ट्रम की नीलामी की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का फैसला किया है। सूत्र बता रहे हैं कि नीलामी इस साल अक्टूबर से पहले शुरू हो जाएगी। 22 मई तक, कंपनी का चयन किया जाएगा, जो नीलामी का प्रबंधन करेगी और इसके लिए सॉफ्टवेयर बनाएगी। इसके बाद ही नीलामी की तारीख तय होगी। सूत्रों के अनुसार, तकनीकी चरण में 4 कंपनियों को योग्य पाया गया है। इनमें से 2 में स्पेक्ट्रम नीलामी का अनुभव है। यदि इन दोनों कंपनियों में से किसी एक का चयन किया जाता है, तो स्पेक्ट्रम नीलामी प्रक्रिया दो महीने बाद शुरू होगी। यदि नहीं, तो प्रक्रिया 3 महीने के बाद शुरू होगी। माना जा रहा है कि इसकी वजह से अगले दो साल तक देश में 5G सर्विस नहीं मिलेगी।
डीओटी 3,300–3,600 मेगाहर्ट्ज बैंड में स्पेक्ट्रम को शामिल करने वाली स्पेक्ट्रम नीलामी प्रक्रिया के लिए मंजूरी चाहता है। 5G के लिए एक ही रेडोवेव स्पेक्ट्रम का उपयोग किया जाना है। आपको बता दें कि, डिफेंस डिपार्टमेंट ने 5G रेडोवावे में से 100 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम की मांग रखी है। उसके बाद, DoT के पास नीलामी के लिए केवल 175 MHz स्पेक्ट्रम बचा है। इस मुद्दे पर दोनों मंत्रालयों के बीच चर्चा चल रही है।
वहीं, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया के कई लाइसेंस नवीनीकरण के लिए आ रहे हैं। इन कंपनियों को संबंधित क्षेत्रों में मोबाइल सेवा जारी रखने के लिए बोली प्रक्रिया में शामिल होना होगा। इसलिए DoT चाहता है कि नीलामी प्रक्रिया 5G स्पेक्ट्रम को शामिल किए बिना आगे बढ़े।
अब तक की योजना के अनुसार, 8,000 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम की नीलामी की जानी है। इसमें 700, 800, 900, 1800, 2100, 2300 और 2500 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम बैंड शामिल हैं। इनकी कुल कीमत करीब तीन लाख करोड़ रुपये है।