राजस्थान के पूर्वी हिस्से के हाड़ौती अंचल में बारिश थमने का नाम नहीं ले रही है। 24 घंटे के दौरान बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, झालावाड़ा, भीलवाड़ा और टोंक में भारी बारिश हुई है. बारां, बूंदी, कोटा और धौलपुर के कई गांवों में बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं. कोटा के खतौली में सबसे ज्यादा 280 मिमी (11 इंच) पानी बरसा। भारी बारिश के कारण काली सिंध, चंबल और पार्वती खतरे के निशान से ऊपर बहने लगी है।
चंबल में पानी की अधिक आवक के कारण कोटा बैराज के 8 गेट
खोल दिए गए हैं. राष्ट्रीय आपदा मोचन बल और राज्य आपदा मोचन
बल (एसडीआरएफ) की टीमें मौके पर पहुंच गई हैं। प्रशासन ने
बचाव कार्य के लिए सेना से संपर्क किया है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बाढ़ पर चिंता व्यक्त करते हुए आम जनता
से भी अपील की है कि वे सावधानी बरतें और कोई समस्या होने पर तुरंत प्रशासन को सूचित करें.
सबसे ज्यादा खतरा धौलपुर जिले के लिए रहा है, जहां चंबल नदी 137 मीटर से
अधिक के स्तर पर बह रही है. इससे सारामथुरा और आसपास के दर्जनों गांवों में बाढ़ जैसे हालात हो गए. उच्च जल स्तर के कारण प्रशासन ने सरमथुरा अनुमंडल के कई गांवों और निचली बस्तियों को खाली करा लिया है.
डांग क्षेत्र के झिरी गांव में चंबल का पानी आ गया है. इस क्षेत्र के कई गांव द्वीप बन गए हैं। लगभग एक दर्जन गांवों का तहसील मुख्यालय से संपर्क पूरी तरह टूट गया है. दूसरी ओर मदनपुर क्षेत्र के करातीर व कई गांव भी चंबल के पानी से घिरे हुए हैं. सरमथुरा नादानपुर मार्ग पर खुर्दिया गांव के पास बना पार्वती नदी का पुल टूट गया है, जिससे इस क्षेत्र से जुड़े दो दर्जन गांव तहसील मुख्यालय से पूरी तरह कट गए हैं.
चंबल नदी में जवाहर सागर से आने वाले पानी के बाद अब कोटा बैराज से 10 गेट खोलकर 48 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है. चंबल से छोड़े गए पानी ने धौलपुर प्रशासन की टेंशन बढ़ा दी है. इधर, पार्वती नदी में पानी बढ़ने से इटावा क्षेत्र के गांव पानी से घिर गए हैं, जहां एसडीआरएफ की टीम राहत के लिए उतरी और गांव को खाली कराने में जुट गई. इस समय पार्वती नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 6 मीटर ऊपर पहुंच गया है.