गणेश चतुर्थी उत्सव आज..11 वें दिन होगा स्थापित मुर्ति का विसर्जन..

ये उत्सव हिंदु धर्म के लिए खास होता है..
गणेश चतुर्थी उत्सव आज..11 वें दिन होगा स्थापित मुर्ति का विसर्जन..

स्पेशल रिपोर्ट –  गजानन, गणपति,  लम्बोदर यानी की गणेश जी भगवान, आज उनका जन्मदिन है, और देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है, गणेश भगवान को प्रथम पुजनीय माना जाता है, हिंदु मान्यान्ताओं के अनूसार सभी शुभ कार्यों के से पहले गणेश जी की पुजा की जाती है,

गणेश चतुर्थी के दिन लोग घरों में गणेश जी मुर्ति की स्थापना करते है इसके बाद 9 दिन उनकी पुजा की जाती है, और 10 वें दिन गणेश की मुर्ति का विसर्जन किया जाता है।

वैसे तो गणेश भगवान से जूडी बहुत सी बातें है लेकिन गणेश भगवान प्रथम पुजनीय बने कैसे और उन्हें शक्तियां मिली कैसे बताते है आपको..

एक बार महादेवजी स्नान करने के लिए भोगावती गए। उनके जाने के पश्चात पार्वती ने अपने तन के मैल से एक पुतला बनाया और उसका नाम 'गणेश' रखा। पार्वती ने उससे कहा- हे पुत्र! तुम द्वार पर बैठ जाओ। मैं भीतर जाकर स्नान कर रही हूँ। जब तक मैं स्नान न कर लूं, तब तक तुम किसी भी पुरुष को भीतर मत आने देना।

भोगावती में स्नान करने के बाद जब भगवान शिवजी आए तो गणेशजी ने उन्हें द्वार पर रोक लिया। इसे शिवजी ने अपना अपमान समझा और क्रोधित होकर उनका सिर धड़ से अलग करके भीतर चले गए। पार्वती ने उन्हें नाराज देखकर समझा कि भोजन में विलंब होने के कारण महादेवजी नाराज हैं। इसलिए उन्होंने तत्काल दो थालियों में भोजन परोसकर शिवजी को बुलाया।

तब दूसरा थाल देखकर तनिक आश्चर्यचकित होकर शिवजी ने पूछा- यह दूसरा थाल किसके लिए हैं? पार्वती जी बोलीं- पुत्र गणेश के लिए हैं, जो बाहर द्वार पर पहरा दे रहा है।

यह सुनकर शिवजी और अधिक आश्चर्यचकित हुए। तुम्हारा पुत्र पहरा दे रहा है? हाँ नाथ! क्या आपने उसे देखा नहीं? देखा तो था, किन्तु मैंने तो अपने रोके जाने पर उसे कोई उद्दण्ड बालक समझकर उसका सिर काट दिया। यह सुनकर पार्वती जी बहुत दुःखी हुईं। वे उदास हो गई और विलाप करने लगी।

इसके बाद सभी देवी-देवताओं वंहा आ गये। तब पार्वती जी को प्रसन्न करने के लिए भगवान शिव ने एक हाथी के बच्चे का सिर काटकर बालक के धड़ से जोड़ दिया। पार्वती जी इस प्रकार पुत्र गणेश को पाकर बहुत प्रसन्न हुई। इसके बाद ब्रह्मा जी ने गणेश जी को वरदान दिया कि वो संसार में प्रथम पूजनीय होगें।

इस प्रकार गणेश जी संसार में प्रथम पुजनीय बनें..यह घटना भाद्रप्रद शुक्ल चतुर्थी को हुई थी। इसीलिए यह तिथि पुण्य पर्व गणेश चतुर्थी के रूप में मनाई जाती है।

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