नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को लगभग तीन महीने हो चुके हैं। धीरे-धीरे मौसम भी बदल रहा है। किसानों ने ठंड के बाद गर्मी से बचने के लिए अपनी टोलियों और टेंटों में पंखे लगाना शुरू कर दिया है। अब लंगरों में चाय की जगह मट्ठा मिल रहा है। पंडालों को हवादार करने के लिए उन्हें दोनों ओर से खोला जा रहा है। इन तैयारियों को देखते हुए, ऐसा लगता है कि किसान बदलते मौसम में भी आंदोलन में बने रहने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
किसान बदलते मौसम में भी आंदोलन में बने रहने के लिए पूरी तरह से तैयार है
गाजीपुर सीमा पर किसान एकता मोर्चा के सदस्य बलजिंदर सिंह मान ने कहा कि
विरोध स्थल पर गर्मी से बचने के लिए सभी इंतजाम किए जा रहे हैं।
ठंड के कारण हर जगह से बंद पंडाल खोले जा रहे हैं,
ताकि ताजी हवा मिल सके और लोगों को गर्मी से राहत मिल सके।
किसानों को ठंडा पानी पिलाने के लिए पुरी व्यवस्था
हर समय किसानों को ठंडा पानी पिलाने के लिए, हर जत्थे में ठंडे पानी के जार और ठंडे पानी की बोतलें भेजने की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि किसानों ने अपने ट्रैक्टरों और ट्रॉलियों में लटकते पंखे लगाना शुरू कर दिया है। बड़ी संख्या में किसान उनके पास कूलर और पंखों की मांग करने के लिए पहुंच रहे हैं।
किसान अपने साथ पंखे, चटाई और खाने का सामान ला रहे हैं
पंखे और छोटे कूलर प्रदान करने के लिए सर्वेक्षण शुरू किया गया है। सर्वेक्षण पूरा होने के बाद, पंखे और कूलर किसानों को उनके जत्थों के लिए उपलब्ध कराए जाएंगे। मान ने कहा कि अब गाँव से आने वाले किसान अपने साथ पंखे, चटाई और खाने का सामान ला रहे हैं। यह सब तैयारी इसलिए की जा रही है ताकि गर्मी के मौसम में कोई समस्या न हो और आंदोलन लंबे समय तक चल सके।
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