(Hallmarking of gold jewelery made mandatory) : 15 जून यानी आज से गोल्ड ज्वेलरी (गहनों) की हॉलमार्किंग अनिवार्य हो गई है। अब से ज्वेलरी सिर्फ हॉलमार्किंग वाली ज्वैलरी ही खरीद-बेच सकेंगे। ऐसे में कई लोगों के मन में सवाल हैं कि उनके पास रखे पुराने सोने का क्या होगा। हम आपको आज हॉलमार्किंग और इससे जुड़ी चीजों के बारे में बता रहे हैं।
हॉलमार्क सरकारी गारंटी होती है। हॉलमार्क भारत की एकमात्र एजेंसी ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS) देती है। हॉलमार्किंग में किसी प्रोडक्ट को तय मापदंडों पर प्रमाणित किया जाता है। BIS वह संस्था है, जो ग्राहकों को उपलब्ध कराए जा रहे सोने की जांच करती है। सोने के सिक्के या गहने पर हॉलमार्क के साथ BIS का लोगो लगाना जरूरी है। इससे पता चलता है कि BIS की लाइसेंस वाली लैब में इसकी शुद्धता की जांच की गई है।
(Hallmarking of gold jewelery made mandatory) : 15 जून 2021 के बाद भी बिना हॉलमार्किंग वाला सोना एक्सचेंज किया जा सकेगा। इसके अलावा अगर आप चाहें तो अपने ज्वैलर के जरिए अपने सोने की हॉलमार्किंग करा सकते हैं। मामले के जानकार संजय मंडोत के मुताबिक BIS 5 साल की लाइसेंस फीस 11,250 रुपए लेकर ज्वेलर्स को यह लाइसेंस देती है।
फिर ज्वैलर्स हॉलमार्क सेंटर पर ज्वेलरी की जांच करवाकर कैरेट के हिसाब से हॉलमार्क जारी करवाता है। आम आदमी पुरानी ज्वेलरी पर सीधे सेंटर जाकर हॉलमार्क नहीं लगवा सकता। उन्हें संबंधित ज्वैलर के जरिए ही आना होगा। हालांकि वह सेंटर पर सोने की शुद्धता की जांच न्यूनतम राशि देकर करवा सकता है।
BIS के अनुसार गाहकों से पुरानी गोल्ड ज्वेलरी खरीदने के बाद ज्वेलर्स उसे पिघलाकर नई ज्वेलरी बनाते हैं। पुरानी ज्वेलरी एक तरह से ज्वेलर के लिए रॉ मैटेरियल होती है। इसलिए ग्राहक द्वारा उसकी बिक्री और ज्वेलर द्वारा उसकी खरीदारी करने पर 15 जून 2021 के बाद भी कोई दिक्कत नहीं होगी। लेकिन जब ज्वेलर्स नई ज्वेलरी बेचेगा, तो उस पर BIS हॉलमार्क होना जरूरी है।
इससे आम आदमी को फायदा ही है क्योंकि अभी तक ज्वेलरी खरीदने पर कई लोगों ये पता ही नहीं रहता था कि उनका सोना कितना शुद्ध है। ऐसे में उनके साथ ठगी से संभावना रहती थी। ग्राहकों को नकली ज्वैलरी से बचाने और ज्वेलरी कारोबार की निगरानी के लिए हॉलमार्किंग जरूरी है। हॉलमार्किंग का फायदा यह है कि जब आप इसे बेचने जाएंगे तो किसी तरह की डेप्रिसिएशन कॉस्ट नहीं काटी जाएगी। मतलब आपको सोने की सही कीमत मिल सकेगी। हॉलमार्किंग में सोना कई फेज में गुजरता है। ऐसे में इसकी शुद्धता में गड़बड़ी की गुंजाइश नहीं रहती।
इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) के नेशनल सेक्रेटरी सुरेंद्र मेहता कहते हैं कि हॉलमार्किंग लागू होने से ज्वैलरी की कीमत थोड़ी बढ़ सकती है। क्योंकि इससे लोगों को अब सरकार टेस्टेड ज्वेलरी मिलेगी। इससे इसकी कीमत थोड़ी बढ़ सकती है।
ज्वेलरी या गोल्ड आइटम पर हॉलमार्क के लिए 35 रुपए (टैक्स अतिरिक्त) है, लेकिन गहनों की शुद्धता की जांच के लिए न्यूनतम 200 रुपए और टैक्स लगेगा। BIS लैब में किसी ज्वेलरी की शुद्धता आंकने या हॉलमार्क के लिए 6-8 घंटे लग सकते हैं। ऐसे में पुरानी ज्वेलरी की हॉलमार्किंग कराने कोई बहुत ज्यादा समय और पैसा नहीं लगेगा।
2 ग्राम से अधिक ज्वेलरी को BIS से मान्यता प्राप्त सेंटर से जांच करवाकर उस पर संबंधित कैरेट का बीआईएस मार्क लगवाना होगा। ज्वैलरी पर बीआईएस का तिकोना निशान, हॉलमार्किंग केंद्र का लोगो, सोने की शुद्धता लिखी होगी। साथ ही ज्वेलरी कब बनाई गई, इसका साल और ज्वेलर का लोगो भी रहेगा।
गोल्ड व करेंसी के एक्सपट्स कहते हैं कि अभी देश का सराफा बाजार हॉलमार्किंग लागू करने के लिए पूरी से तरह तैयार नहीं है। इसका कारण है कि कोरोना की दूसरी लहर के चलते देश में बीते कुछ महीनों से लॉकडाउन लगा था। इस कारण कई छोटे ज्वैलर BIS में रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाए हैं। विशेषज्ञों की माने तो इससे सरकार को टैक्स मिलेगा। सरकार हॉलमार्किंग कराने पर 18% GST वसूलेगी। इससे सरकार की आमदनी भी होगी।
ट्रेड पंडितों की माने तो सुरेंद्र मेहता कहते हैं कि सरकार ने ज्वेलर्स को रजिस्ट्रेशन कराने के लिए 1 साल से ज्यादा का समय दिया था लेकिन देश में इस समय करीब 5 लाख ज्वैलर है जिनमें से सिर्फ 40 हजार लोगों ने इसके लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। यानी 1 साल में 10% ज्वेलर्स ने भी रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है। कई ज्वेलर्स ऐसे हैं जिन्होंने जानबूझ कर इसके लिए रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है।
सोने की शुद्धता कैरेट के हिसाब से रहती है। 24 कैरेट सोने को सबसे शुद्ध सोना माना गया है, लेकिन इसके आभूषण नहीं बनते, क्योंकि वो बहुत मुलायम होता है। आमतौर पर आभूषणों के लिए 22 कैरेट सोने का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें 91.66% सोना होता है।
1 कैरेट गोल्ड का मतलब होता है 1/24 गोल्ड, यदि आपके आभूषण 22 कैरेट के हैं तो 22 को 24 से भाग देकर उसे 100 से गुणा करें। यानी आपके आभूषण में इस्तेमाल सोने की शुद्धता 91.66% है। BIS कानून के मुताबिक हॉलमार्किंग के नियम तोड़ने वालों पर न्यूनतम 1 लाख रुपए से ज्वैलरी की वैल्यू के 5 गुना तक जुर्माने और एक साल की सजा का प्रावधान है।