‘मुख्यमंत्री जी मैं जिंदा हूं, लिखी तख्ती गले में लटकाकर योगी आदित्यनाथ को जिंदा होने का सबूत दे रहे ‘रामअवध’, सरकारी रिकॉर्ड में आठ साल पहले मौत

उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में तीन साल से जिंदा होने का सबूत लेकर रुद्रपुर तहसील में रहने वाले डाला गांव के राम अवध देवरिया आ रहे मुख्यमंत्री से मिलने की तैयारी कर रहे हैं। वह सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलेंगे और अपने जिंदा होने का सबूत देंगे। राजस्व रिकॉर्ड में राम अवध, जिनकी आठ साल पहले मौत हो गई थी।
Photo | Amar Ujala
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डेस्क न्यूज़- उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में तीन साल से जिंदा होने का सबूत लेकर रुद्रपुर तहसील में रहने वाले डाला गांव के राम अवध देवरिया आ रहे मुख्यमंत्री से मिलने की तैयारी कर रहे हैं। वह सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलेंगे और अपने जिंदा होने का सबूत देंगे। राजस्व रिकॉर्ड में राम अवध, जिनकी आठ साल पहले मौत हो गई थी, उन्होने पट्टीदारों पर पुश्तैनी जमीन हड़पने का आरोप लगाया है।

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गले में तख्ती लिए न्याय की मांग

रामअवध गले में तख्ती लिए हुए हैं जिस पर लिखा है 'मुख्यमंत्री जी मैं जिंदा हूं, कागज में मरा रामअवध बोल रहा हूं'। उन्होंने कहा कि उन्होंने सुना है कि सीएम योगी आदित्यनाथ देवरिया में मेडिकल कॉलेज का उद्घाटन करने आ रहे हैं। उनसे न्याय की पूरी उम्मीद है। उससे मिलना अपने दुख को रोना है। राम अवध के जिंदा और मुर्दा होने का मामला एक हफ्ते से सुर्खियां बटोर रहा है। डीएम ने जांच बैठा दी है। लेकिन डीएम के जांच के निर्देश के एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला है।

पीड़ित रामावध

करीब 40 साल पहले डाला गांव के राम अवध अपनी पत्नी और बच्चों के साथ व्यापार की तलाश में यूपी के ललितपुर जिले में गए थे। वहां वह परिवार के साथ सैदपुर गांव में रहने लगा। वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान है। उनका एक बेटा है। आरोप है कि लेखपाल और कानूनगो के साथ मिलकर पट्टीदारों ने राजस्व रिकॉर्ड में उन्हें मृत घोषित कर दिया। उसने अपने हिस्से की सारी जमीन अपने नाम कर ली। सूचना मिलने पर राम अवध तीन साल से तहसीलदार कोर्ट में केस लड़ रहे हैं।

मुख्यमंत्री से न्याय की गुहार

जिंदा होने का अभिलेखीय प्रमाण देने के बाद भी मामले का निपटारा नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि वह हर कार्य दिवस पर मामले की सुनवाई कर मुख्यमंत्री से मुलाकात कर शीघ्र न्याय की गुहार लगाएंगे। उनकी उम्र करीब 80 साल है। वह अपनी जायज मृत्यु के पहले फैसला नहीं होने पर न्याय के अपमान की आशंका जता रहे हैं।

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