गोरखपुर : गोरखनाथ पीठ में लगेगा संतो का दरबार , योगी आदित्यनाथ रहेंगे दंडाधिकारी की भूमिका में

गोरखपुर : गोरखनाथ मंदिर में विजयधामि पर होने कार्यक्रमों की तैयारी जोर शोर से हो रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यक्रमों को लेकर सभी अधिकारी लखनऊ से गोरखपुर की दौड़ भाग कर रहे हैं।
गोरखपुर : गोरखनाथ पीठ में लगेगा संतो का दरबार , योगी आदित्यनाथ रहेंगे  दंडाधिकारी की भूमिका में

गोरखपुर : गोरखनाथ मंदिर में विजयधामि पर होने कार्यक्रमों की तैयारी जोर शोर से हो रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यक्रमों को लेकर सभी अधिकारी लखनऊ से गोरखपुर की दौड़ भाग कर रहे हैं। भव्य कार्यक्रमों में जुलूस , रामलीला में सिया- राम का पूजन और अभिषेक से लेकर संतो का दरबार सजेगा जहा योगी आदित्यनाथ स्वयं दंडाधिकारी बन कर संतो के विवादों का निपटारा करेंगे।

मंदिर में सजेगा संतों का दरबार, गोरक्षपीठधीश्वर होंगे मजिस्ट्रेट की भूमिका

गोरक्षपीठ में विजयादशमी का दिन एक और मायने में भी खास होता है। इस दिन यहां संतों का दरबार लगता है और गोरक्षपीठधीश्वर मजिस्ट्रेट की भूमिका में होते हैं। नाथपंथ की परंपरा के अनुसार हर साल विजयादशमी के अवसर पर गोरखनाथ मंदिर में पीठाधीश्वर संतों के विवाद का निपटारा किया जाता है। मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठधीश्वर योगी आदित्यनाथ नाथपंथ की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतवर्षि अवधूत भेश बारह पंथ योगी महासभा के अध्यक्ष भी हैं. इस पद पर वह एक मजिस्ट्रेट की भूमिका में हैं।

गोरखनाथ मंदिर में विजयादशमी पर पात्रों की पूजा का कार्यक्रम होता है। इसमें गोरक्षपीठधीश्वर संतों के बीच के विवाद को सुलझाते हैं। विवादों के निपटारे से पहले संत योगी आदित्यनाथ को चरित्र देवता के रूप में पूजते हैं। देवता के सामने सुनवाई में कोई झूठ नहीं बोलता। पात्र पूजा संत समाज में अनुशासन के लिए भी जाने जाते हैं।

अष्टमी पर महनिष पूजा, नवमी पर कन्या पूजन करेंगे सीएम योगी

नवरात्र के पहले दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखनाथ मंदिर के मठ की पहली मंजिल पर स्थित शक्ति मंदिर में कलश की स्थापना की थी | अष्टमी की रात वे यहां आदिशक्ति की पूजा करेंगे और महनिष की पूजा करेंगे। नाथ संप्रदाय की परंपरा के अनुसार, अष्टमी की रात को सात्त्विक यज्ञ करके एक विशेष हवन किया जाता है।

नवमी तिथि पर सीएम योगी नौ अविवाहित कन्याओं के नौ दुर्गा रूप में चरण स्पर्श करेंगे, उनके माथे पर तिलक, चंदन, दही और अक्षत लेकर उनकी पूजा करेंगे। पूरी श्रद्धा से भोजन करने के बाद दक्षिणा और उपहार देकर उनका आशीर्वाद भी लेंगे। इस दौरान परंपरा के अनुसार बटुक पूजा भी की जाएगी।

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