गोरखपुर : धूमधाम से निकलेगी विजयदशमी पर गोरक्षपीठाधीश्वर की शोभायात्रा

गोरखपुर : जाति, पंथ और जनकल्याण को मिटाकर सामाजिक समरसता की स्थापना गोरक्षपीठ का लक्ष्य रहा है। नाथपंथ के इस विश्व प्रसिद्ध पीठ की भी यही पहचान है। हर साल विजयादशमी के मौके पर निकलने वाले गोरक्षपीठधीश्वर के पारंपरिक जुलूस में भी सामाजिक समरसता की बेहतरीन मिसाल देखने को मिलती है।
गोरखपुर :  धूमधाम से निकलेगी विजयदशमी पर गोरक्षपीठाधीश्वर की शोभायात्रा
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गोरखपुर : जाति, पंथ और जनकल्याण को मिटाकर सामाजिक समरसता की स्थापना गोरक्षपीठ का लक्ष्य रहा है। नाथपंथ के इस विश्व प्रसिद्ध पीठ की भी यही पहचान है। हर साल विजयादशमी के मौके पर निकलने वाले गोरक्षपीठधीश्वर के पारंपरिक जुलूस में भी सामाजिक समरसता की बेहतरीन मिसाल देखने को मिलती है। इस जुलूस में हर तबके के लोग शामिल होते हैं, इसका स्वागत अल्पसंख्यक समुदाय के लोग भी करते हैं।

कभी जाति और धर्म के चश्मे से नहीं देखा मठ ने किसी व्यक्ति को

इतिहास बताता है कि गोरक्षपीठ ने कभी किसी को जाति या धर्म के चश्मे से नहीं देखा। अल्पसंख्यक समुदाय के ऐसे दुकानदार मंदिर परिसर में बहुतायत में हैं, जो पीढ़ियों से यहां अपनी आजीविका चलाते आ रहे हैं। एक सांसद के रूप में योगी आदित्यनाथ हर सुबह शिकायतकर्ताओं की समस्याओं का समाधान करते थे, तब अल्पसंख्यक समुदाय के पुरुष और महिलाएं सबसे अधिक संख्या में थे और आज के दौर में जब भी यहां सीएम का जनता दरबार कार्यक्रम होता है, वही दृश्य हो सकता है। देखा गया। है।

दशहरे पर रहता है शहर भर को जुलूस का इंतजार

दशहरे के दिन गोरखनाथ मंदिर के विजयादशमी जुलूस का पूरा शहर इंतजार करता है। लेकिन सबसे ज्यादा उत्साह अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों में देखा जाता है, जो गोरक्षपीठधीश्वर के स्वागत के लिए फूलों की माला लेकर मंदिर के मुख्य द्वार के सामने कुछ घंटे खड़े रहते हैं। गोरक्षपीठधीश्वर का काफिला जब यहां रुकता है तो सामाजिक समरसता की वह तस्वीर मन मोह लेती है।

गोरखपुर : जाति, पंथ और जनकल्याण को मिटाकर सामाजिक समरसता की स्थापना गोरक्षपीठ का लक्ष्य रहा है। नाथपंथ के इस विश्व प्रसिद्ध पीठ की भी यही पहचान है। हर साल विजयादशमी के मौके पर निकलने वाले गोरक्षपीठधीश्वर के पारंपरिक जुलूस में भी सामाजिक समरसता की बेहतरीन मिसाल देखने को मिलती है। इस जुलूस में हर तबके के लोग शामिल होते हैं, इसका स्वागत अल्पसंख्यक समुदाय के लोग भी करते हैं।

परंपरा के अनुसार इस वर्ष भी विजयादशमी के दिन शाम को गोरखनाथ मंदिर से गोरक्षपीठधीश्वर की शोभा धूमधाम से निकाली जाएगी। पीठाधीश्वर गुरु गोरक्षनाथ के आशीर्वाद से अपने वाहन में सवार होंगे। तुरही, ढोल और बैंड की धुनों के बीच गोरक्षपीठधीश्वर का जुलूस मानसरोवर मंदिर पहुंचेगा।

यहां पहुंचने के बाद गोरक्षपीठधीश्वर योगी आदित्यनाथ गोरक्षपीठ से लगे मानसरोवर मंदिर में देवाधिदेव महादेव की पूजा करेंगे। इसके बाद उनकी बारात मानसरोवर रामलीला मैदान पहुंचेगी। वह यहां चल रही रामलीला में भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक करेंगे। इसके साथ ही भगवान श्री राम, माता जानकी, लक्ष्मण और हनुमानजी की पूजा कर आरती भी की जाएगी।

इतना ही नहीं विजयादशमी पर गोरखनाथ मंदिर में होने वाले पारंपरिक तिलकोत्सव कार्यक्रम में भी गोरक्षपीठधीश्वर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देंगे। विजयादशमी के दिन शाम को गोरखनाथ मंदिर में एक पारंपरिक भोज का भी आयोजन किया जाएगा, जिसमें सभी समुदायों के लोग बड़ी संख्या में भाग लेते हैं, भले ही किसी भी अमीर-गरीब और जाति-धर्म के हों।

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