बंगाल हिंसा पर फिर गुस्साए राज्यपाल: धनखड़ ने कहा- बंगाल में संविधान खत्म हो चुका, जानिए राज्यपाल ने क्या-क्या कहा 

बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के 43 मंत्रियों ने सोमवार को शपथ ली। इसके बाद राज्यपाल धनखड़ ने एक बार फिर बंगाल हिंसा को लेकर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि हिंसा को लेकर राज्य सरकार में कोई जिम्मेदारी नहीं दिखी। हालात बताते हैं कि सरकार भी यही चाहती थी। वो बोले कि बंगाल में संविधान खत्म हो गया है। रात में हिंसा की खबरें मिलती हैं और सुबह सब ठीक बताया जाता है
बंगाल हिंसा पर फिर गुस्साए राज्यपाल: धनखड़ ने कहा- बंगाल में संविधान खत्म हो चुका, जानिए राज्यपाल ने क्या-क्या कहा 

बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के 43 मंत्रियों ने सोमवार को शपथ ली। इसके बाद राज्यपाल धनखड़ ने एक बार फिर बंगाल हिंसा को लेकर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि हिंसा को लेकर राज्य सरकार में कोई जिम्मेदारी नहीं दिखी। हालात बताते हैं कि सरकार भी यही चाहती थी। वो बोले कि बंगाल में संविधान खत्म हो गया है। रात में हिंसा की खबरें मिलती हैं और सुबह सब ठीक बताया जाता है।

राज्यपाल धनखड़ ने इससे पहले 5 मई को ममता के शपथग्रहण के दिन भी बंगाल हिंसा का मुद्दा उठाया था

राज्यपाल धनखड़ ने इससे पहले 5 मई को ममता के शपथग्रहण के दिन भी

बंगाल हिंसा का मुद्दा उठाया था। अपील की थी कि हालात सुधारने के लिए

जल्द कदम उठाएं। ममता ने कहा था कि नई व्यवस्था लागू होगी।

5 दिन बाद मंत्रियों के शपथ ग्रहण में फिर राज्यपाल ने

हिंसा का मुद्दा उठाया और इस बार पहले से ज्यादा तल्ख।

जानिए राज्यपाल धनखड़ ने क्या-क्या कहा 

सरकार में जवाबदेही नहीं दिखी

सरकार जमीनी हकीकत को समझे और जनता के विश्वास को राज्य में स्थापित करे। सरकार उन अपराधियों पर एक्शन ले, जिन्होंने हमारे लोकतंत्र के धागों को तोड़ने की कोशिश की है। इस मामले में राज्य सरकार की प्रतिक्रिया मुझसे छिपी नहीं है। इसे मुझसे बेहतर कोई नहीं जानता है। सरकार भी यही चाहती थी। मैंने किसी भी तरह की जिम्मेदारी या जवाबदेही नहीं देखी।

रिपोर्ट मांगी तो ये मुझे नहीं दी गई

मैंने कोलकाता पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारियों से 3 मई को रिपोर्ट मांगी। इसी दिन राज्य के चीफ सेक्रेटरी से हालात और उन्हें सुधारने के लिए उठाए गए कदमों का ब्योरा मांगा। मैंने उनसे पूछा कि इस उपद्रव को आगे संभालने के लिए उनके पास क्या योजना है? मेरे पास कोई रिपोर्ट नहीं आई। अधिकारियों ने एडिशनल चीफ सेक्रेटरी होम को रिपोर्ट भेजी, पर उन्होंने आज तक ये रिपोर्ट मुझे फॉरवर्ड नहीं की है।

सरकार और पुलिस के अफसर बस हाजिरी लगाने आए

मुझे चीफ सेक्रेटरी को फोन करके बुलाना पड़ा। चीफ सेक्रेटरी और DGP मुझसे मिलने आए, लेकिन उनके पास कोई रिपोर्ट नहीं थी, कोई जानकारी नहीं थी। इसका कोई कारण नहीं बताया गया, जो रिपोर्ट उन्होंने सचिव स्तर पर 3 मई को भेज दी थी, उसे मुझे क्यों नहीं दिया गया। मुझे इसकी वजह भी नहीं बताई गई की कोलकाता पुलिस कमिश्नर ने मेरे लिए जो रिपोर्ट चीफ सेक्रेटरी होम को भेजी थी, वो मुझे क्यों नहीं दी गई। चीफ सेक्रेटरी होम ने अपनी ड्यूटी क्यों नहीं निभाई। चीफ सेक्रेटरी और DGP केवल हाजिरी लगाने के लिए मेरे पास आए, ये केवल दिखावा था।

हेलिकॉप्टर मांगा तो बोले- पायलट्स के साथ समस्या है

आप अंदाजा लगा सकते हैं कि ऐसे हालात में किस तरह से जिम्मेदारी की कमी राज्य में दिखाई दे रही है। मैंने प्रभावित इलाकों में जाने के लिए हेलिकॉप्टर की मांग की। मुझे लिखित में इसका कोई जवाब नहीं मिला। अनाधिकारिक तौर पर मुझे बताया गया कि हेलिकॉप्टर में कुछ समस्या है और पायलट्स के साथ कुछ समस्या है। क्या संवैधानिक मुखिया को सूचना देने का ये तरीका है। आपने लिखित में ये जवाब क्यों नहीं दिया।

विपक्षी कैंडिडेट्स और कार्यकर्ता अपनी जिंदगी देकर कीमत चुका रहे

मैं आप सभी से और खासतौर से मीडिया से अपील करता हूं। ये चुनावों के बाद हो रही ऐतिहासिक हिंसा है और वो भी बेहद संवेदनशील राज्य में, जिसने आपराधिक चरित्र अपना लिया है। इसके चलते मौतें हो रही हैं, बलात्कार हो रहे हैं, ज्यादतियां हो रही हैं। सबसे बुरी बात ये है कि विपक्षी कैंडिडेट्स, कार्यकर्ताओं और उन्हें वोट देने वालों को इसकी कीमत अपनी जिंदगी और अधिकार देकर चुकानी पड़ रही है।

बंगाल को संविधान के मुताबिक चलाना मेरे लिए मुश्किल

मैं इसे नजरंदाज नहीं कर सकता हूं। मैं सरकार से अपील करता हूं कि पहले मुझे राज्य के मामलों से भलीभांति अवगत कराएं। दूसरी बात ये कि मेरी लगातार कोशिशों के बावजूद एक शब्द भी नहीं बताया गया। यहां संविधान काम नहीं कर रहा है। मेरे लिए ये बहुत मुश्किल हो रहा है कि बंगाल में सरकार को संविधान के मुताबिक चलाया जा सके। कार्यशैली संविधान को शर्मिंदा कर रही है। मैं केवल उम्मीद और प्रार्थना कर सकता हूं कि सरकार जमीनी हकीकत को समझे और इस चेतावनी भरे हालात को सुधारने के लिए कदम उठाए।

रात को हिंसा की खबरें मिलती हैं, सुबह सब ठीक बताया जाता है

मैं मीडिया से अपील करता हूं कि मुझे दर्द है, मैं परेशान हूं। रात में मुझे हिंसा की खबरें मिलती हैं, पता चलता है कि लोग कितने परेशान हैं और जब सुबह मैं उठता हूं तो पढ़ता हूं कि सब ठीक है। इतिहास मेरा और सरकार का फैसला करेगा कि संकट के समय में क्या किया? आप लोगों को भी इसी पर परखा जाएगा। मेरी अपील है कि निर्भय होकर आप अपना कर्तव्य निभाइए।

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