पंजाब की सियासी घमासान के डैमेज कंट्रोल को चंडीगढ़ पहुंचे हरीश चौधरी ,सिद्धू को मानाने की कवायद

पंजाब में मुख्यमंत्री बदलने के लिए हरीश चौधरी और अजय माकन को हाईकमान ने ऑब्जर्वर बनाकर भेजा था। अजय माकन दिल्ली लौट आए थे, लेकिन हरीश ने नए सीएम चरणजीत सिंह चन्नी की पूरी कैबिनेट बनने तक चंडीगढ़ और दिल्ली में ही रुके।
पंजाब की सियासी घमासान के डैमेज कंट्रोल को चंडीगढ़ पहुंचे हरीश चौधरी ,सिद्धू को मानाने की कवायद

पंजाब कांग्रेस में मची उथल-पुथल के बीच कांग्रेस नेता डैमेज कंट्रोल में लगे हैं। इस बार डैमेज कंट्रोल की कमान राजस्थान के राजस्व मंत्री और पंजाब कांग्रेस के ऑब्जर्वर हरीश चौधरी ने संभाल रखी है। नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफा देते ही हरीश चौधरी जयपुर से चंडीगढ़ पहुंच गए। हरीश चौधरी चंडीगढ़ में पार्टी नेताओं से मिलकर डैमेज कंट्रोल में लगे हैं। नवजोत सिंह सिद्धू को मनाने के साथ दूसरे विकल्पों पर भी विचार किया जा रहा है।

पंजाब की राजनीतिक खींच तान से चौधरी की प्रतिष्ठा जुडी

पंजाब के राजनैतिक घटनाक्रम में हरीश चौधरी की भूमिका परदे के पीछे बताई जाती है । ऐसा कहा जाता है कि हरीश चौधरी ने पंजाब में नेतृत्व परिवर्तन के पूरे घटनाक्रम को अंजाम तक पहुंचाने की काफी पहले से तैयारी की थी। वे इस मामले में राहुल गांधी से लगातार संपर्क में थे। कैप्टन अमरिंदर सिंह को सीएम पद से हटाने के बाद भी नवजोत सिंह सिद्धू का प्रदेशाध्यक्ष पद से इस्तीफे के घटनाक्रम ने राहुल गांधी से लेकर पूरी कांग्रेस के लिए अजीब स्थिति पैदा कर दी है।

पंजाब में मुख्यमंत्री बदलने के लिए हरीश चौधरी और अजय माकन को हाईकमान ने ऑब्जर्वर बनाकर भेजा था। अजय माकन दिल्ली लौट आए थे, लेकिन हरीश ने नए सीएम चरणजीत सिंह चन्नी की पूरी कैबिनेट बनने तक चंडीगढ़ और दिल्ली में ही रुके। चौधरी राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं, पंजाब के पूरे घटनाक्रम की राहुल गांधी को सारी की रिपोर्ट दे रहे हैं। हरीश चौधरी इससे पहले पंजाब के प्रभारी रह चुके हैं।

पंजाब कांग्रेस में सिद्धू के इस्तीफे के बाद हलचल तेज है। इस बार प्रदेश प्रभारी हरीश रावत चंडीगढ़ नहीं गए हैंं। बताया जाता है कि एक रणनी​ति के तहत ऐसा किया है। हरीश रावत की जगह हरीश चौधरी को चंडीगढ़ भेजा गया है और अभी वे ही कांग्रेस हाईकमान को पूरी रिपोर्ट दे रहे हैं। उन्होंने नवजोत सिंह सिद्धू से संपर्क किया है, सिद्धू के नजदीक नेताओं से भी बैठकें चल रही हैं। अभी तक सिद्धू माने नहीं हैं। कांग्रेस की रणनीति फिलहाल सिद्धू और उनके समर्थकों को मनाने की है। सिद्धू अगर इस्तीफा देने पर अड़े रहे तो प्लान-B तैयार किया गया है। फिलहाल कांग्रेस हाईकमान की रणनीति के हिसाब से स्थानीय स्तर पर मामले को सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन विवाद अब तक बरकरार है।

सिद्धू के इस्तीफे से ठीक पहले कहा था- राजस्थान के हालात पंजाब से अलग

हरीश चौधरी ने नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे से एक दिन पहले ही जयपुर में कहा था कि पंजाब और राजस्थान की राजनीतिक परिस्थितियों में अंतर है। पंजाब में विधायक कैप्टन अमरिंदर सिंह से नाराज थे, जबकि राजस्थान में 100 से ज्यादा विधायक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ हैं। इस बयान के अगले ही दिन पंजाब में फिर कलह शुरू हो गई।

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