"कोरोना की वजह से यूपी चुनाव पर लगे दो माह की रोक ",इलाहाबाद हाईकोर्ट ,जानिए किन परिस्थितियों में टल सकता है चुनाव

दुनिया भर में कोरोना के नए संस्करण ओमाइक्रोन की दहशत और बढ़ते प्रभाव के चलते चुनावी रैलियों में भीड़ जमा होने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आपत्ति जताई है। कोर्ट ने देश के प्रधानमंत्री और चुनाव आयुक्त से यूपी के आगामी विधानसभा चुनाव में प्रदेश की जनता को कोरोना की तीसरी लहर से बचाने के लिए चुनावी रैलियों पर रोक लगाने की अपील की है
allahabad highcourt

allahabad highcourt

दुनिया भर में कोरोना के नए संस्करण ओमाइक्रोन की दहशत और बढ़ते प्रभाव के चलते चुनावी रैलियों में भीड़ जमा होने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आपत्ति जताई है। कोर्ट ने देश के प्रधानमंत्री और चुनाव आयुक्त से यूपी के आगामी विधानसभा चुनाव में प्रदेश की जनता को कोरोना की तीसरी लहर से बचाने के लिए चुनावी रैलियों पर रोक लगाने की अपील की है | राजनीतिक दलों को भीड़ जमा न करने दें। कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दलों को केवल टीवी, समाचार पत्रों के माध्यम से प्रचार करने के लिए कहा जाए |

'चुनावी रैलियों में भीड़ न जमा होने दें'

हाईकोर्ट ने कहा कि देश के माननीय प्रधानमंत्री जी ने भारत जैसी बड़ी आबादी वाले देश में कोरोना का मुफ्त टीकाकरण अभियान चलाया है. यह प्रशंसा के पात्र है। कोर्ट ने पीएम से अपील की है कि इस भयानक महामारी को देखते हुए रैलियां, सभाएं और चुनाव टालने पर विचार करें और कड़े कदम उठाएं|उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों को अन्य माध्यमों से प्रचार करने के लिए कहा जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि हो सके तो फरवरी में होने वाले चुनाव को एक या दो महीने के लिए टाल दिया जाए | कोर्ट ने साफ किया कि जान है तो चुनावी रैलियां, बैठकें होती रहेंगी।

आगे कोर्ट ने कहा.....

उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में भी जीने का अधिकार दिया गया है। हाईकोर्ट ने संजय यादव को जमानत देते हुए कहा कि आज अदालत के समक्ष करीब 400 मामलों की सूची है. उन्होंने कहा कि प्रतिदिन कोर्ट में केस दर्ज होने के कारण बड़ी संख्या में वकील मौजूद हैं. इस कारण सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा है। कोर्ट ने कहा कि वकील एक-दूसरे के करीब खड़े होते हैं। जबकि ओमाइक्रोन के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। जिससे संभावित तीसरी लहर का खतरा तेजी से बढ़ रहा है।

चुनाव आयोग चुनाव कब टाल सकता है

अनुच्छेद 324 के आधार पर चुनाव आयोग अपने दम पर चुनाव कराने के लिए स्वतंत्र है | इसके अलावा जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 52, 57 और 153 में चुनाव रद्द करने या स्थगित करने की बात कही गई है।

उम्मीदवार की मृत्यु

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 52 में विशेष प्रावधान किया गया है। इसके तहत यदि किसी उम्मीदवार की चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने के अंतिम दिन सुबह 11 बजे के बाद किसी भी समय मृत्यु हो जाती है, तो उस सीट पर चुनाव हो सकता है। स्थगित, बशर्ते

उनका फॉर्म सही भरा गया है।

उन्हें चुनाव से अपना नाम वापस नहीं लेना चाहिए था।

वोटिंग शुरू होने से पहले मौत की खबर मिल गई होगी।

दंगे, प्राकृतिक आपदा जैसी आपात स्थिति में

इस संबंध में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 57 में प्रावधान है। यदि चुनाव स्थल पर हिंसा, दंगा या प्राकृतिक आपदा होती है, तो चुनाव स्थगित किया जा सकता है। इस संबंध में निर्णय मतदान केंद्र के पीठासीन अधिकारी द्वारा लिया जा सकता है। यदि हिंसा और प्राकृतिक आपदा बड़े पैमाने पर यानी पूरे राज्य में होती है तो चुनाव आयोग द्वारा निर्णय लिया जा सकता है। मौजूदा स्थिति तो बस आपदा जैसी है। कोरोना वायरस के कारण भीड़ जमा नहीं हो पा रही है. ऐसे में कई चुनावों को आगे बढ़ा दिया गया है।

ईवीएम या बैलेट बॉक्स में गड़बड़ी

मतदान केंद्र पर बैलेट बॉक्स या वोटिंग मशीन से छेड़छाड़ होने पर भी मतदान रोका जा सकता है। हालांकि आजकल ज्यादातर चुनावों में ईवीएम का ही इस्तेमाल होता है। अगर चुनाव आयोग को लगता है कि चुनाव स्थल पर स्थिति अच्छी नहीं है या पर्याप्त सुरक्षा नहीं है, तो चुनाव आगे बढ़ाया जा सकता है या चुनाव रद्द किया जा सकता है। यह प्रावधान लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 58 में किया गया है।

सुरक्षा कारणों से

अगर चुनाव आयोग को लगता है कि किसी भी सीट पर पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था नहीं है तो वह चुनाव रद्द या स्थगित कर सकता है।

Like Follow us on :- Twitter | Facebook | Instagram | YouTube

<div class="paragraphs"><p>allahabad highcourt</p></div>
ये कैसा फैसला - अलग रह रही पत्नी, दो गुना ज्यादा पति से आय‚ फिर भी पति से जीवनभर के लिए मांगा भरण पोषण- HC ने भी सही माना

Related Stories

No stories found.
logo
Since independence
hindi.sinceindependence.com