गुजरात में सबसे अधिक ब्लैक फंगस के मामले, 11 विशेषज्ञों की टास्क फोर्स कर रही है काम

इस बीमारी से ग्रसित लोगाें को समुचित इलाज के लिए राज्य के विभिन्न अस्पतालों के साथ-साथ मेडिकल कॉलेजों के 11 विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टॉस्क फोर्स बना दी है।
गुजरात में सबसे अधिक ब्लैक फंगस के मामले, 11 विशेषज्ञों की टास्क फोर्स कर रही है काम
राज्य में कोरोना संकट के बीच अब म्यूकोर माइकोसिस (ब्लैक फंगस) के मामले बढ़ रहे हैं। इससे निपटने के लिए राज्य सरकार ने 11 विशेषज्ञ डॉक्टरों की टास्क फोर्स बनाई गई है। इस टास्क फोर्स के परामर्श से उपचार, प्रोटोकॉल को लेकर दिशा निर्देश निर्धारित किए गए हैं। राज्य में अब तक ब्लैक फंगस के कुल मामलों में से 14.3 प्रतिशत मरीज ठीक हुए हैं।
राज्य में ब्लैक फंगस के बढ़ते मामले सामने आने के बाद केंद्र सरकार के परामर्श पर राज्य सरकार ने इस बीमारी को महामारी घोषित कर दिया है। राज्य सरकार में ब्लैक फंगस संक्रमित लोगों के लिए विशेष रूप से अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत, राजकोट, भावनगर, जामनगर के सभी सिविल अस्पतालों में अलग-अलग वार्ड बनाए हैं। राज्य सरकार ने बताया कि ब्लैक फंगस के मामले सबसे अधिक गुजरात में हैं।  इस बीमारी से ग्रसित लोगाें को समुचित इलाज के लिए राज्य के विभिन्न अस्पतालों के साथ-साथ मेडिकल कॉलेजों के 11 विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टॉस्क फोर्स बना दी है।

49.5 फीसदी मरीजों को कोरोना के इलाज के लिए स्टेरॉयड थेरेपी दी गई।

राज्य में अब तक ब्लैक फंगस के लगभग ढाई हजार से अधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं। कुल मामलों में से 81.6 प्रतिशत रोगियों का राज्य के विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है। अब तक 14.3 फीसदी मरीज ठीक हो चुके हैं। साथ ही 4.1 फीसदी मरीजों की मौत हो चुकी है। आयु वर्ग के संदर्भ में देखें तो केवल 0.5 प्रतिशत रोगी 18 वर्ष से कम आयु के हैं, 28.4 प्रतिशत 18 से 45 वर्ष की आयु के हैं और 46.3 प्रतिशत रोगी 45 से 60 वर्ष की आयु के हैं, जबकि 24.9 फीसदी मरीज 60 साल से ज्यादा उम्र के हैं।
आंकड़ों पर नजर डाले तो इस बीमारी का प्रसार महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक हैं और अब तक रिपोर्ट किए गए कुल रोगियों में से 67.1 प्रतिशत पुरुष हैं। जबकि 32.9 प्रतिशत महिलाएं हैं। आंकड़ों के हिसाब से 66.5 फीसदी मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ी। इतना ही नहीं, कुल रिपोर्ट किए गए रोगियों में से, 59 प्रतिशत को मधुमेह था, 22.1 प्रतिशत ने प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर थी। 49.5 फीसदी मरीजों को कोरोना के इलाज के लिए स्टेरॉयड थेरेपी दी गई।

टाॅक फोर्स टीम के सदस्य

चिकित्सा विभाग ने राज्य के विभिन्न अस्पतालों व मेडिकल कॉलेजों के 11 विशेषज्ञ डॉक्टरों की टास्क फोर्स में गवर्नमेंट डेंटल कॉलेज, अहमदाबाद के अतिरिक्त निदेशक और डीन डॉ. गिरीश परमार, सिविल अस्पताल केबीजे मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा विभाग के डॉ. कमलेश उपाध्याय, बीजे मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग के डॉ. बेला प्रजापति, अहमदाबाद के एमएंडजे ऑप्थल्मोलॉजी इंस्टीट्यूट ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी के डॉ. हंसा ठक्कर को शामिल किया गया है।
इस टीम में सरकारी मेडिकल कॉलेज, सूरत के चिकित्सा विभाग के डॉ. अश्विन वसावा, गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, सूरत के ईएनटी विभाग के डॉ. आनंद चौधरी, एमपी शाह मेडिकल कॉलेज, जामनगर के डॉ. बीआई गोस्वामी, राजकोट के पीडीयू मेडिकल कॉलेज ईएनटी विभाग की डॉ. सेजल मिस्त्री, राजकोट नेत्र विज्ञान, मेडिकल कॉलेज के पीडीयू डॉ. नीति सेठ, नेत्र विज्ञान, मेडिकल कॉलेज, शासकीय मेडिकल कॉलेज, भावनगर के ईएन टी विभाग के डॉ. सुशील झा और सरकारी मेडिकल कॉलेज, भावनगर के डॉ. नीलेश पारेख को भी शामिल किया गया है।

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