न्यूज – हिमाचल में आसमान छू रहे सीमेंट के दामों के पीछे का राज क्या है, इस राज को अब प्रदेश की जनता जानना चाहती है? लॉकडाउन से पहले और लॉकडाउन के बीच लगातार बढ़ रहे सीमेंट के दामों ने समाज की कमर तोड़कर रख दी है। यह बात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने जारी प्रेस बयान में कही है।
उन्होंने कहा कि पहाड़ प्रदेश के, मिट्टी प्रदेश की, पर्यावरण प्रदेश का खराब हो रहा है, सड़कें प्रदेश की टूट रही हैं, धूल ध्वसित माहौल में मिट्टी प्रदेश के लोग फांक रहे हैं परंतु प्रदेशों की तुलना में हिमाचल में पैदा होने वाला सीमेंट सबसे महंगा प्रदेश की जनता को मिल रहा है। जो कि प्रदेश की जनता के साथ सरासर अन्याय है इतना ही नहीं आम आदमी के साथ-साथ टैक्स पेयर के धन पर भी सीमेंट की बेलगाम मंहगाई से परोक्ष डाका डल रहा है।
लेकिन सरकार इस मामले पर रहस्यमय चुप्पी साधे हुए है। ऐसा भी नहीं है कि सीमेंट बनाने का रॉ मैटिरियल राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महंगा हुआ हो। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में बढ़े सीमेंट के रेटों के बाद प्रदेश के आम आदमी से लेकर अफसरशाही की फीडबैक पर गौर करें तो सीमेंट की बेलगाम मंहगाई के पीछे अब किसी बड़ी डील के आरोप लगने लगे हैं। कुछ जिम्मेदार अधिकारी बताते हैं कि करोड़ों रुपए का सीमेंट तो सरकारी निर्माण कार्यां के लिए सरकार के खजाने से खरीदा जाता है।
इस तरह सीमेंट कंपनियों को लाभ देने के लिए सरकारी खजाने को भी योजना बद्ध तरीके से लुटाया जा रहा है।
उन्होंने सवाल खड़ा किया है कि सरकार बताए कि इस मामले में प्राइस चेक के लिए सरकार ने क्या पैमाना रखा है? आरोपों की बात भी सही है, क्योंकि जिस प्रदेश में सीमेंट पैदा हो रहा है, उस प्रदेश के लोगों को सीमेंट महंगा बेचा जा रहा है। जबकि दूसरे प्रदेशों में यही कंपनियां सीमेंट सस्ता बेच रही हैं। पिछले एक साल में सीमेंट के एक बैग का रेट 70 से 80 रुपए बढ़कर 400 रुपए पर जा पहुंचा है। जो सीमेंट पिछले साल 315 से 320 रुपए तक मिलता था उसका रेट अब 400 रुपए हो गया है। समझ में यह नहीं आ रहा है कि सीमेंट कंपनियां सरकार को चला रही हैं या सरकार सीमेंट कंपनियों को चला रही हैं? क्योंकि सरकार का सीमेंट की महंगाई पर कोई नियंत्रण नहीं है।
ऐसे में अगर प्रदेश की जनता आवाज उठा रही है, तो सीमेंट के इस खेल के पीछे किसी बड़ी डील की बू आ रही है? जानकारी यह है कि अब सीमेंट और मंहगा होने वाला है जिसका खाका 8 मई को सरकार ने तैयार कर लिया है। अब इस तैयारी से समझ यह नहीं आ रहा है कि सरकार जनता को महंगाई से राहत दिलाने के लिए है या सीमेंट कंपनियों की पैरवी के लिए है? उन्होंने चेतावनी दी है कि इस मामले पर सरकार मूक और मौन रही तो सीमेंट की मंहगाई को कांग्रेस जन आंदोलन का रूप देगी।