सेना को मिलेगा नया टैंक, ‘हंटर किलर’ अर्जुन मार्क 1ए टैंक को मिली मंजूरी, सरकार ने जारी किया आदेश

आखिरकार, लंबे इंतजार के बाद रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को 'मेक इन इंडिया' पहल को और बढ़ावा देते हुए भारतीय सेना के लिए स्वदेशी 118 मुख्य युद्धक टैंक अर्जुन एमके 1ए की आपूर्ति के लिए ऑर्डर दे दिया है। 7,523 करोड़ रुपये का यह ऑर्डर ऑर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड (ओएफबी) की हैवी व्हीकल फैक्टरी, अवाडी (तमिलनाडु) को दिया गया है।
सेना को मिलेगा नया टैंक, ‘हंटर किलर’ अर्जुन मार्क 1ए टैंक को मिली मंजूरी, सरकार ने जारी किया आदेश

आखिरकार, लंबे इंतजार के बाद रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को 'मेक इन इंडिया' पहल को और बढ़ावा देते हुए भारतीय सेना के लिए स्वदेशी 118 मुख्य युद्धक टैंक अर्जुन एमके 1ए की आपूर्ति के लिए ऑर्डर दे दिया है। 7,523 करोड़ रुपये का यह ऑर्डर ऑर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड (ओएफबी) की हैवी व्हीकल फैक्टरी, अवाडी (तमिलनाडु) को दिया गया है। इस साल की शुरुआत में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 फरवरी को चेन्नई के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे को पहला टैंक सौंपा था। आइए जानते हैं अर्जुन एमके 1ए टैंक की ख़ास बातें और भारत में इस टैंक के प्रवेश से क्या – क्या लाभ होंगे ?

इससे करीब 8,000 लोगों को मिलेगा रोजगार

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने 23 फरवरी को 118 स्वदेशी अर्जुन मार्क -1 ए टैंक सहित 14,000 करोड़ रुपये से अधिक के खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दी थी। टैंकों का उत्पादन आदेश जारी होने से लगभग 8,000 लोगों को मध्यम और लघु उद्योगों में रोजगार के अवसर मिलेंगे। यह अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों में स्वदेशी क्षमता प्रदर्शित करने के लिए एक प्रमुख परियोजना होगी। एमबीटी अर्जुन एमके-1ए को कॉम्बैट व्हीकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (सीवीआरडीई) द्वारा अन्य डीआरडीओ प्रयोगशालाओं के साथ दो साल (2010-12) के भीतर डिजाइन और विकसित किया गया है। जून 2010 से विकास गतिविधियां शुरू हुईं और जून 2012 में टैंक को उपयोगकर्ता परीक्षणों के लिए मैदान में उतारा गया।

सेना के सुझाव पर किए गए 72 प्रकार के सुधार

इस पूरी तरह से स्वदेशी टैंक को पहली बार 2004 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था। वर्तमान में सेना के पास अर्जुन टैंक की दो रेजिमेंट हैं, जो जैसलमेर में भारत-पाकिस्तान सीमा पर तैनात हैं। अर्जुन टैंक का उपयोग करते हुए सेना को कई अनुभव प्राप्त हुए। इनके आधार पर सेना ने अपने उन्नत संस्करण के लिए कुल 72 प्रकार के सुधारों की मांग की। DRDO ने सेना के सुझावों को शामिल करते हुए हंटर किलर टैंक तैयार किया। इसके बाद भी सेना ने इस टैंक में कुछ और सुधारों की मांग की थी। इसके बाद डीआरडीओ ने करीब 14 नए फीचर्स को टैंक में शामिल कर 4 टैंक तैयार किए।

अर्जुन टैंक की सवारी कर चुके है प्रधानमंत्री

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2019 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सैनिकों के साथ दिवाली मनाने पकिस्तान से लगी जैसलमेर (राजस्थान) के लोंगेवाला सीमा पर गए थे तो उन्होंने जिस अर्जुन टैंक की सवारी की थी, उसी का यह अपग्रेडेड वर्जन एमके-1ए है। 2020 में अपग्रेडेड वर्जन अर्जुन मार्क-1ए ने सभी परीक्षण पूरे कर लिए थे लेकिन सरकार से मंजूरी मिलने का इंतज़ार था। उत्पादन का औपचारिक आदेश तब हुआ जब पीएम नरेंद्र मोदी ने जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी की उपस्थिति में सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवाने को पहला अर्जुन मार्क -1 ए मुख्य युद्धक टैंक (एमबीटी) सौंपा। 14 फरवरी को चेन्नई। देने का रास्ता साफ था।

इन टैंकों के लिए 2 नई रेजीमेंट का निर्माण करेगी सेना

टैंक का निर्माण अवाडी (तमिलनाडु) स्थित ऑर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड (ओएफबी) के हैवी व्हीकल फैक्टरी में किया जाएगा। सरकार के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर होने के 30 महीने के भीतर पांच एमबीटी का पहला बैच सेना को सौंप दिया जाएगा। डीआरडीओ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अब कुल 118 नए टैंक बनाए जाएंगे। भारतीय सेना अब इस टैंक की दो और रेजिमेंट बनाने जा रही है, जिन्हें अगले छह महीने में सेना में शामिल कर लिया जाएगा। प्रत्येक रेजिमेंट में 59 अर्जुन टैंक होंगे। मार्क-1ए टैंक में 17 साल पहले शामिल किए गए 124 'अर्जुन' की तुलना में बेहतर मारक क्षमता, गतिशीलता और सुरक्षा है।

एंटी टैंक ग्रेनेड और मिसाइल से सुरक्षित है अर्जुन मार्क-1ए टैंक

नए उन्नत संस्करण में इसकी अग्नि शक्ति क्षमता को काफी बढ़ाया गया है। इसके साथ ही इसमें एकदम नई तकनीक का ट्रांसमिशन सिस्टम लगाया गया है. यह टैंक अपने लक्ष्य का स्वयं पता लगाने में सक्षम है। यह खुद भी तेजी से बढ़ते दुश्मन के ठिकानों पर हमला कर सकता है जो लगातार आगे बढ़ रहे हैं। टैंक में कमांडर, गनर, लोडर और ड्राइवर का दल होगा। यह टैंक युद्ध के दौरान भी इन चारों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करेगा। टैंक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह युद्ध के मैदान में पड़ी खदानों को साफ करते हुए आसानी से आगे बढ़ सकता है। कंधे से दागे गए एंटी टैंक ग्रेनेड और मिसाइलों का इस पर कोई असर नहीं होता है। यह टैंक विशेष रूप से भारतीय परिस्थितियों के लिए कॉन्फ़िगर और डिज़ाइन किया गया है और इसलिए प्रभावी तरीके से सीमाओं की रक्षा के लिए तैनाती के लिए उपयुक्त है।

दिन-रात दुश्मन से मुकाबला करने में है सक्षम

इसके अलावा केमिकल अटैक से बचाने के लिए इसमें खास सेंसर लगाए गए हैं। किसी रासायनिक या परमाणु बम के फटने की स्थिति में उसमें अलार्म बजने लगेगा। साथ ही टैंक के अंदर हवा का दबाव भी बढ़ जाएगा जिससे बाहर की हवा अंदर नहीं जा सकेगी। क्रू मेंबर्स के लिए ऑक्सीजन के लिए बेहतरीन फिल्टर लगाए गए हैं। यह दिन और रात की परिस्थितियों में और स्थिर और गतिशील दोनों तरीकों से दुश्मन का मुकाबला कर सकता है। इसके अलावा इसमें कई नए फीचर्स शामिल किए गए हैं, जो न सिर्फ इस टैंक को बेहद मजबूत बनाते हैं बल्कि सटीक स्ट्राइक करने में भी इसका कोई मुकाबला नहीं है।

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