केंद्र सरकार द्वारा जारी हुआ भारत का पहला ड्रोन एयरस्पेस मैप, देश के पुरे हवाई क्षेत्र का तीन रंगों में किया विभाजित

केंद्र सरकार ने शनिवार को भारत का पहला हवाई क्षेत्र का नक्शा जारी कर दिया है, जो हाल ही में ड्रोन संचालन के लिए नियम बनाने के बाद नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) के डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है। पूरे देश के हवाई क्षेत्र को तीन रंगों में बांटकर सैन्य ठिकानों को ड्रोन हवाई क्षेत्र के नक्शे के येलो जोन में रखा गया है।
केंद्र सरकार द्वारा जारी हुआ भारत का पहला ड्रोन एयरस्पेस मैप, देश के पुरे हवाई क्षेत्र का तीन रंगों में किया विभाजित

केंद्र सरकार ने शनिवार को भारत का पहला हवाई क्षेत्र का नक्शा जारी कर दिया है, जो हाल ही में ड्रोन संचालन के लिए नियम बनाने के बाद नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) के डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है। पूरे देश के हवाई क्षेत्र को तीन रंगों में बांटकर सैन्य ठिकानों को ड्रोन हवाई क्षेत्र के नक्शे के येलो जोन में रखा गया है। पीले रंग के इस जोन में ड्रोन को भारतीय वायुसेना और भारतीय नौसेना के ठिकानों से 200 फीट ऊपर उड़ने की इजाजत दी गई है।

26 अगस्त को जारी की थी ड्रोन नियमों की अधिसूचना

विभिन्न उद्योगों में उनके लगातार बढ़ते उपयोग, किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने और रोजगार पैदा करने की उनकी अपार क्षमता के कारण ड्रोन दुनिया भर में चर्चा का एक नया विषय बन गए हैं। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की 'स्वामित्व' योजना के तहत पूरे देश के हवाई मानचित्रण से भारत में ड्रोन का व्यापक रूप से उपयोग किया गया है। तेलंगाना के ग्रामीण इलाकों में 'द मेडिसिन्स फ्रॉम द स्काई' प्रोजेक्ट के तहत दवा पहुंचाने के लिए ड्रोन को मंजूरी दी गई है। सरकार ने नए ड्रोन कानूनों का मसौदा 15 जुलाई को प्रकाशित किया था और 5 अगस्त तक इस पर जनता से फीडबैक मांगा था। इस मसौदे पर लोगों की मिली प्रतिक्रिया का अध्ययन करने के बाद बनाये गए नए ड्रोन नियमों की अधिसूचना 26 अगस्त को जारी की गई थी।

ड्रोन एयरस्पेस मैप को बांटा गया हरे, पीले और लाल रंग में

अब इसके बाद केंद्र सरकार ने आज भारत का पहला हवाई क्षेत्र का नक्शा जारी किया है जो नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) के डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म https://digitalsky.dgca.gov.in/home पर उपलब्ध है। यह भारत के हवाई क्षेत्र का एक इंटरेक्टिव मानचित्र है जो देश भर में ड्रोन के लिए हरे, पीले और लाल क्षेत्रों का निर्धारण करता है। अब से ग्रीन जोन में 500 किलोग्राम तक वजन वाले ड्रोन को 400 फीट या 120 मीटर की ऊंचाई तक उड़ाया जा सकेगा, जिसके लिए किसी अनुमति की जरूरत नहीं होगी।

ड्रोन एयरस्पेस मैप के येलो जोन में रखे गए सैन्य अड्डे

येलो जोन के एयरपोर्ट के दायरे को 45 किमी से घटाकर 12 किमी कर दिया गया है। सैन्य ठिकानों को ड्रोन एयरस्पेस मैप के येलो जोन में रखा गया है। अत: हवाई अड्डे की परिधि से 8-12 कि.मी. ड्रोन को बीच में केवल 200 फीट से ऊपर ही ऑपरेट किया जा सकता है। रेड जोन में केंद्र सरकार की अनुमति से ही ड्रोन का संचालन किया जा सकेगा।

गंभीर है सरकार

26/27 जून की रात जम्मू वायु सेना स्टेशन पर 'ड्रोन हमले' के बाद सरकार को ड्रोन नीति बनानी पड़ी। देश में अपनी तरह के इस हमले में डेढ़ किलोग्राम विस्फोटक चीन निर्मित जीपीएस निर्देशित ड्रोन से गिराया गया। जम्मू वायु सेना स्टेशन से अंतरराष्ट्रीय सीमा की दूरी सिर्फ 14 किलोमीटर है। इस घटना के बाद कई दिनों तक जम्मू के कालूचक मिलिट्री स्टेशन के आसपास ड्रोन भी घूमते देखे गए। पिछले एक साल में जम्मू सेक्टर में नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार ड्रोन घुसपैठ की घटनाएं बढ़ी हैं, जिसमें कई कोशिशों को बीएसएफ ने नाकाम कर दिया है। यही वजह है कि सैन्य ठिकानों को येलो जोन में रखते हुए 200 फीट से नीचे ड्रोन उड़ाने पर रोक लगा दी गई है।

सरकार है गंभीर

जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर 26/27 जून की रात को हुए 'ड्रोन अटैक' के बाद सरकार को ड्रोन पॉलिसी बनानी पड़ी है। देश में अपनी तरह के हुए इस हमले में चीन निर्मित जीपीएस गाइडेड ड्रोन का इस्तेमाल करके डेढ़-डेढ़ किलो के विस्फोटक गिराए गए थे। जम्मू एयरफोर्स स्टेशन से अंतरराष्ट्रीय सीमा की दूरी महज 14 किलोमीटर है। इस घटना के बाद जम्मू के कालूचक मिलिट्री स्टेशन के आसपास भी कई दिनों तक ड्रोन मंडराते देखे थे। पिछले एक साल के भीतर जम्मू सेक्टर में नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करके ड्रोन घुसपैठ की घटनाएं बढ़ीं हैं जिसमें कई प्रयासों को बीएसएफ ने नाकाम भी किया है। यही वजह है कि सैन्य ठिकानों को येलो जोन में रखकर 200 फीट से नीचे ड्रोन उड़ाने पर पाबंदी लगाई गई है।

Related Stories

No stories found.
logo
Since independence
hindi.sinceindependence.com