जानिए, विश्व स्तर पर अस्पतालों में प्रति व्यक्ति बेड उपलब्धता में भारत की क्या है स्थिति?

 कोरोना महामारी ने कई सबक दिए। एक सबसे बड़ा सबक देश में अस्पतालों की बदहाली और कमी दूर करने का है। बेड, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर व अन्य चिकित्सा उपकरण नाकाफी साबित हुए हैं।
जानिए, विश्व स्तर पर अस्पतालों में प्रति व्यक्ति बेड उपलब्धता में भारत की क्या है स्थिति?

 भारत की क्या है स्थिति? :  कोरोना महामारी ने कई सबक दिए।

एक सबसे बड़ा सबक देश में अस्पतालों की बदहाली और कमी दूर करने का है।

बेड, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर व अन्य चिकित्सा उपकरण नाकाफी साबित हुए हैं।

ऐसे में यह जानना उचित होगा कि विश्व स्तर पर अस्पतालों में प्रति व्यक्ति बेड उपलब्धता की क्या स्थिति है?

एक रिपोर्ट के अनुसार इसमें जापान व दक्षिण कोरिया श्रेष्ठ स्थिति में पाए गए हैं।

रूस में प्रति हजार लोगों पर सात बेड उपलब्ध हैं

 भारत की क्या है स्थिति? : एक अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार जापान में प्रति एक हजार व्यक्तियों पर अस्पतालों में बेड की उपलब्धता 13 है, जबकि दक्षिण कोरिया में 12.5 और जर्मनी में आठ है।

ये तीनों देश टॉप- 3 हैं। इस मामले में महाशक्ति देश रूस चौथे, फ्रांस पांचवें और अमेरिका छठे स्थान पर पाया गया है।

रूस में प्रति हजार लोगों पर सात बेड उपलब्ध हैं तो फ्रांस में छह और अमेरिका में मात्र तीन।

इस रिपोर्ट का आधार वर्ष 2018 है। हालांकि बीते दो वर्षों में इन सभी देशों में अस्पतालों की संख्या व सुविधाओं में कुछ सुधार हुआ है। लेकिन महामारी काल में क्या महाशक्ति व क्या विकसित और विकासशील, सभी देशों को भारी संकट का सामना करना पड़ रहा है।

ब्रिटेन व भारत निचली पायदान पर

एक अन्य विकसित व महाशक्ति देश ब्रिटेन भी आठ देशों के अध्ययन में सातवीं पायदान पर पाया गया है। वहां प्रति 1000 लोगों पर बेड की उपलब्धता 2.5 है। रहा सवाल भारत का तो यहां यह दर 0.5 फीसदी है। यानी प्रत्येक एक हजार लोगों पर भारत में मात्र आधा बेड मुहैया कराया जा सकता है।

बदल रही है स्थिति पर अभी भारी कमी

देश में आयुष्मान भारत योजना के बाद स्थिति में क्रमिक सुधार हो रहा है, लेकिन वह अब भी अपर्याप्त है। महामारी का बोझ झेल सके इसके लिए देश का स्वास्थ्य तंत्र सक्षम नहीं है। इसीलिए कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जब रोज लाखों की संख्या में मरीज मिल रहे हैं और हजारों को अस्पतालों में बिस्तर व अन्य सुविधाओं की जरूरत पड़ रही है तो वह उन्हें नहीं मिल पा रही है।

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