डेस्क न्यूज़- विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के साथ सीमा गतिरोध पर कहा है कि पूर्वी लद्दाख में पिछले वर्ष हुई घटनाओं ने दोनों देशों के संबंधों पर गंभीर प्रभाव ड़ाला हैं। इसके अलावा उन्होंने कहा कि संबंधों को आगे तभी बढ़ाया जा सकता है जब वे आपसी सम्मान, संवेदनशीलता, साझा हित जैसी परिपक्वता पर आधारित हों। चीन और भारत के संबंध दोराहे पर हैं और इस समय चुने गए विकल्पों का केवल दोनों देशों पर ही नही बल्कि पूरी दुनिया पर प्रभाव पड़ेगा। 13वें अखिल भारतीय सम्मेलन को
डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए S. Jaishankar ने कहा कि वर्ष 2020 में हुई
घटनाओं ने हमारे संबंधों पर वास्तव में अप्रत्याशित दबाव बढ़ा दिया है।
विदेश मंत्री ने कहा कि यथास्थिति
को बदलने का कोई भी एकतरफा
प्रयास स्वीकार नही होगा
उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में पिछले वर्ष हुई घटनाओं ने दोनों देशों के संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
Jaishankar ने कहा कि जो समझौते हुए हैं, उनका पूर्णतया पालन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि
वास्तविक नियंत्रण रेखा का कड़ाई से पालन और सम्मान किया जाना चाहिए। .
Foreign Minister ने स्पष्ट किया कि यथास्थिति को बदलने का कोई भी एकतरफा प्रयास स्वीकार नही होगा।
उन्होंने कहा कि लद्दाख की घटनाओं ने सिर्फ सैनिकों की संख्या को कम करने की प्रतिबद्धता का
अनादर किया, बल्कि शांति भी भंग की हैं।
आगे कहा कि Jaishankar ने कहा कि हमें चीन के रुख में बदलाव और
सीमाई इलाकों में बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती पर अब भी कोई विश्वसनीय स्पष्टीकरण नहीं मिला है।
चीन के साथ संबंधों पर उन्होंने कहा कि संबंधों को आगे तभी बढ़ाया जा सकता है, जब वे आपसी सम्मान
एवं संवेदनशीलता तथा आपसी हित जैसी परिपक्वता पर आधारित होंगा।
Line Of Control पर गतिरोध की स्थिति बनी हुई हैं
Foreign Minister ने कहा कि सीमा पर स्थिति की अनदेखी कर जीवन सामान्य रूप से चलते रहने की उम्मीद
करना वास्तविक नहीं है। जयशंकर ने कहा कि अगर संबंधों को स्थिर और प्रगति की दिशा में लेकर जाना है तो
नीतियों में पिछले तीन दशकों के दौरान मिले सबकों पर ध्यान देना पड़ेगा। बता दे कि पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में
Line Of Control पर पिछले कई महीने से चीनी सेना और भारतीय सेना के बीच गतिरोध की स्थिति बनी हुई हैं।
इस मामले में कई दौर की राजनयिक स्तर और सैन्य स्तर की मीटिंग हो चुकी है।