कोरोना टेस्ट से डरने की जरुरत नही, जानिए कोविड-19 टेस्ट से जुड़े सभी सवालों के जवाब

कोविड-19 महामारी से पीड़ित मरीज को इलाज के दौरान कई तरह के टेस्ट कराने पड़ते हैं। यह उनके लिए तनावपूर्ण हो सकता है। दिल्ली स्थित डॉ. डांग्स लैब के सीईओ डॉ. अर्जुन डांग और डॉ. गुलाटी इमेजिंग इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. प्रवीण गुलाटी ने दिए सा टाइम्स ऑफ इंडिया को साक्षात्कार में कोरोना मरीजों के लिए जरूरी लैब टेस्ट और सीटी स्कैन के बारे में अहम बातें बताईं।
कोरोना टेस्ट से डरने की जरुरत नही, जानिए कोविड-19 टेस्ट से जुड़े सभी सवालों के जवाब

डेस्क न्यू़ज़- कोविड-19 महामारी से पीड़ित मरीज को इलाज के दौरान कई तरह के टेस्ट कराने पड़ते हैं। यह उनके लिए तनावपूर्ण हो सकता है। दिल्ली स्थित डॉ. डांग्स लैब के सीईओ डॉ. अर्जुन डांग और डॉ. गुलाटी इमेजिंग इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. प्रवीण गुलाटी ने दिए सा टाइम्स ऑफ इंडिया को साक्षात्कार में कोरोना मरीजों के लिए जरूरी लैब टेस्ट और सीटी स्कैन के बारे में अहम बातें बताईं।

रिपॉर्ट पॉजिटिव आए तो कौन-से ब्लड टेस्ट करवाने जरुरी हैं

रैपिड एंटीजन परीक्षण पूरी तरह से विश्वसनीय होते हैं जब वे पॉजिटिव परिणाम देते हैं, लेकिन उनके नकारात्मक परिणाम अक्सर नकली होते हैं। इसी वजह से आरटीपीसीआर टेस्ट को कोविड के लिहाज से सबसे विश्वसनीय माना जाता है। चाहे आप रैपिड एंटीजन या एआरटीपीसीआर, किसी भी परीक्षण में सकारात्मक हों, तो आपको पहला कदम उठाना चाहिए कि आप खुद को अलग कर लें और डॉक्टर से संपर्क करें। उसके बाद आपको लक्षणों की गंभीरता के अनुसार कुछ परीक्षण करने की सलाह दी जाती है। उपचार के दौरान कई परीक्षणों से गुजरना संभव है।

यदि आपमें कोविड के मामूली लक्षण हैं, तो आपको पूर्ण रक्त गणना (सीबीसी) और सी-रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी) परीक्षण की आवश्यकता होगी ताकि डॉक्टर आपके शरीर के अंदर हो रहे परिवर्तनों को पकड़ सकें। सीआरपी एक प्रोटीन है जिसे लीवर तैयार करता है। अगर सीआरपी लेवल बढ़ता है तो शरीर में किसी न किसी उपाय का लेवल बढ़ जाता है। यदि मध्यम लक्षण देखे जाते हैं, तो अक्सर सीबीसी और सीआरपी के साथ आईएल 6, फेरिटिन, एलडीएच और डी-डिमर जैसे परीक्षणों से गुजरने की सिफारिश की जाती है। न्यूट्रोफिल लिम्फोसाइट अनुपात (एनएलआर) की अधिकता का मतलब है कि बीमारी गंभीर है। अगर यह 4 प्वाइंट तक पहुंच जाता है तो मरीज को आईसीयू में भर्ती करना पड़ता है।

होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों को टेस्ट करवाना चाहिए?

अगर मरीज में गंभीर कोरोना के गंभीर लक्षण हैं तो सीआरपी लेवल तेजी से बदलता है। इससे पता चलता है कि मरीज की हालत बिगड़ रही है। नियमित सीआरपी परीक्षण करने से डॉक्टरों को होम आइसोलेशन के साथ रोगी की नवीनतम स्थिति से अवगत कराया जाता है। उन्हें इस बात का अंदाजा हो जाता है कि मरीज की हालत बिगड़ने वाली है या सब ठीक है।

ब्लड इन्फ्लेमेटरी मार्कर परिक्षण कितना प्रभावी होता हैं?

गंभीर लक्षण होने पर सीआरपी, ईसीआर, फेरिटिन, एलडीएच और प्रोसाइक्लिटोनिन आदि का स्तर बढ़ जाता है। इस कारण इनकी जांच से रोग का स्तर भी बना रहता है और चिकित्सक अनुकूल उपचार देते रहते हैं। यदि रोगी में IL6 और 'ट्यूमर नेरकोसिस फैक्टर अल्फा' जैसे साइटोकिन्स बढ़ने लगें तो फेफड़ों की क्षति के साथ-साथ अन्य समस्याएं होने लगती हैं। . अब तक के अध्ययनों से पता चला है कि IL6 और D-dimer का बहुत घनिष्ठ संबंध है और प्रारंभिक अवस्था में संक्रमण की गंभीरता का पता लगाने के लिए दोनों स्तरों की जानकारी महत्वपूर्ण है।

ऐंटिबॉडी टेस्ट कब करवाए?

कोविड एंटीबॉडी परीक्षण को आमतौर पर इम्युनोग्लोबुलिन जी (आईजीजी) परीक्षण कहा जाता है। आईजीजी एंटीबॉडी अक्सर टीकाकरण के 14 से 21 दिन बाद या कोरोना संक्रमण के लक्षण दिखाई देते हैं। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि एंटीबॉडी लंबे समय तक बनी रहती है या नहीं और मरीज में दोबारा संक्रमण हो सकता है या नहीं। इसलिए, एक आईजीजी परीक्षण की आवश्यकता होती है क्योंकि यह न केवल यह बताता है कि एंटीबॉडी बनते हैं या नहीं, बल्कि यह भी बताते हैं कि कितना बनता है। इसके लिए कोविड आईजीएम टेस्ट भी किया जाता है। संक्रमण के सातवें दिन आईजीएम एंटीबॉडी बनते हैं, जो 28 दिनों तक चल सकते हैं। अगर आईजीएम टेस्ट पॉजिटिव आता है, तो इसका मतलब है कि उस व्यक्ति को हाल ही में (28 दिनों से कम) कोरोना संक्रमण हुआ है।

सीटी स्कैन की जरुरत कब होती है

रेडियोलॉजिस्ट डॉ. प्रवीण गुलाटी का कहना है कि गार कोविड पॉजिटिव मरीज को सीटी स्कैन कराने की जरूरत नहीं है। वह निम्नलिखित स्थितियों में सीटी स्कैन करने की सलाह देते है।

मरीज में कोविड के लक्षण हैं लेकिन उसका आरटीपीसीआर टेस्ट निगेटिव आया है। ऐसे में अगर सीटी स्कैन की जरूरत हो तो संक्रमण के पांचवें और सातवें दिन जरूर करवाना चाहिए। ध्यान रहे कि कोरोना के म्यूटेंट वेरिएंट, टेस्ट में तकनीकी खामी या मरीज में वायरस की मात्रा बहुत कम होने के कारण भी संक्रमित व्यक्ति का RTPCR टेस्ट नेगेटिव हो जाता है।

मरीज की सांसें उखड़ रही हों, ऑक्सिजन सैचुरेशन गिर रहा हो तब सीटी स्कैन करवा लेने से बीमारी की गंभीरता का अंदाजा लग जाता है। सीटी स्कैन में बैक्ट्रिया से होने वाले संक्रमण या हृदयगति रुक जाने (Cardiac Failure) का पता चल जाता है। सिटी स्कैन नहीं कराने पर इन समस्याओं को भी बेवजह कोविड से जोड़कर देखा जाता है।

मामूली लक्षण वाले मरीजों का सीटी स्केन कब करवाना चाहिए

मामूली लक्षण वाले मरीजों का सीटी स्कैन तब करवाना चाहिए जब आरटीपीसीआर टेस्ट की सुविधा उपलब्ध नहीं हो या फिर इस बात का डर हो कि जांच में देरी होने पर मरीज की स्थिति बिगड़ सकती है।

यह कुछ आपातकालीन परिस्थितियों में किया जा सकता है। उदाहरण के लिए जब किसी मरीज को इमर्जेंसी सर्जरी की जरूरत पड़े और आरटीपीसीआर या रैपिड ऐंटिजन टेस्टिंग उपलब्ध नहीं हो। अगर मीरज पूरी तरह रिकवर हो गया है तो उसकी सीटी स्कैन कराने की जरूरत नहीं है जब तक कि डॉक्टर नहीं कहें। अगर कोरोना के लक्षण नहीं हों तो यूं ही संदेह मिटाने के लिहाज से सिटी स्कैन करवाने की जरूरत नहीं है।

किसे करवाना चाहिए कोरोना टेस्ट ?

अगर आपको खांसी, बुखार या कोविड के अन्य कोई लक्षण हैं तो आपको टेस्ट करवाना चाहिए। अगर आप किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं, लेकिन आपमें संक्रमण का कोई लक्षण नहीं हो तो भी आपको जांच करवाना चाहिए। अगर संक्रमण के लक्षण हों तो 1-2 दिन में आरटीपीसीआर या रैपिड ऐंटिजन टेस्ट करवा लें। अगर आरटी-पीसीआर टेस्ट निगेटिव आए और लक्षण दिखें तो 1-2 दिन में फिर से टेस्ट करवा लें। अगर रैपिड ऐंटिजन टेस्ट निगेटिव आए तो तुरंत आरटीपीसीआर टेस्ट करवाएं। अगर कोरोना के लक्षण नहीं हों तो खुद को आइसोलेट करने के 5 से 7 दिन के बाद आरटीपीसीआर टेस्ट करवाएं।

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