ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुसलमीन के प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी का मानना है कि अफगानिस्तान की सत्ता में तालिबान की वापसी के बाद भारत को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में पिछले 20 वर्षों से 3 अरब डॉलर खर्च करके भी भारत बदली सूरत में पूरी तरह मार्जिनाइज्ड हो गया।
ओवैसी ने इशारों में कहा कि अफगानिस्तान-तालिबान के मुद्दे पर अमेरिका ने भी भारत को धोखा दिया। उन्होंने कहा, 'जल्मे खलीलजाद ने हमसे बात नहीं की। ब्लिंकन आकर यहां कहते हैं और जयशंकर साहब संसद में कहते हैं कि भारत-अमेरिका सेम पेज पर हैं, क्या यही सेम पेज पर हैं?'
ओवैसी ने अफगानिस्तान के मुद्दे पर गुरुवार को केंद्र सरकार के साथ हुई सर्वदलीय बैठक में हुई चर्चा पर भी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने सभी दलों से कहा कि अभी वेट एंड वॉच की नीति अपनाएं।
उन्होंने कहा, 'आपने सभी दलों को बुलाकर कहा कि वेट एंड वॉच, कैसे वेट एंड वॉच होगा? 20 साल में भारत का अफगानिस्तान में 3 अरब डॉलर खर्च हुआ है। 20 साल तक हर साल 8-8 सौ अफगानियों को बुलाकर कॉलेज में और अन्य जगहों पर ट्रेनिंग देकर भेजा। वहां की संसद बनाई, डैम बनाए, चाबहार पोर्ट बनाया। सच्चाई यह है कि अफगानिस्तान में आई तब्दीली से भारत पूरी तरह दरकिनार हो गया है।'
लोकसभा सांसद ने अफगानिस्तान में भारत की नीतियों की नाकामियां गिनाईं। उन्होंने कहा, 'ट्रॉइका प्लस बनाया गया, भारत नहीं है उसमें। कौन है उसमें- यूएस, चीन, रूस। रीजनल आर्क बनाया गया, उसमें भारत नहीं है। कौन है उसमें- चीन, रूस, ईरान और पाकिस्तान। उन्होंने कहा कि भारत हर तरह से अफगानिस्तान में मार्जनिलाइज्ड होकर रह गया और वहां जो कुछ भी तब्दीली आई है, वो भारत के लिए बिल्कुल ठीक नहीं है लॉन्ग टर्म में।
ओवैसी ने कहा कि वो वर्षों से भारत सरकार को अफगानिस्तान और तालिबान के प्रति नीतियों को लेकर आगाह कर रहे थे, लेकिन उनका मजाक उड़ाया गया। आज सच्चाई यह है कि भारत पूरी तरह अलग-थलग पड़ गया है। उन्होंने कहा, हम शुरू से कह रहे हैं, 2013 से कह रहे हैं संसद में कि देखिए यह होगा तो मुझ पर उंगलियां उठाते थे ये लोग, हंसते थे।'
उन्होंने आगे कहा, 'मोदी सरकार आई, हमने कहा कि यह होगा, उन्होंने भी ध्यान नहीं दिया। 13 साल पहले और 7 साल मोदी सरकार के, हमने क्या किया अफगानिस्तान के लिए? हमने अमेरिका पर इतना भरोसा किया और वो ग्रीन जोन से चला गया। जब हमने कहा कि अपनी एंबेसी के लोगों को वापस लाना है तो यूएस ने कह दिया कि हम आपको प्रॉटेक्शन नहीं देंगे।
ओवैसी ने प्रॉटेक्शन नहीं देने की बात पता नहीं कहां से की क्योंकि खबरें तो यही आईं कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से इस संबंध में बात की, उसके बाद अमेरिकी सैनिकों ने काबुल एयपोर्ट पर भारतीय दूतावास के कर्मियों को सुरक्षा देकर वतन वापस लौटने में मदद की।
हैदराबाद सांसद ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि भारत ने काबुल में अपना दूतावास पूरी तरह बंद कर दिया। उन्होंने कहा, 'हमने अफगानिस्तान को ही छोड़ दिया। अमेरिका ने एक रूम लेकर अपना डिप्लोमेटिक प्रजेंस को रखा है वहां। अफगानी नागरिक जो हमारी एंबेसी में काम करते थे, उनको हम छोड़कर आ गए।'
ओवैसी ने कहा कि अफगानिस्तान में उन आतंकी संगठनों की पकड़ मजबूत हो गई है जिन्होंने भारत में खून बहाए थे। उन्होंने कहा, 'पूर्वी अफगानिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा आ चुका है, दक्षिणी अफगानिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद आ चुका है। ये मशहूर आतंकी संगठन हैं जिन्होंने भारत की जमीन पर मासूम लोगों के खून बहाए। इस परिस्थिति में अगर हम मार्जिनलाइज्ड होकर रह जाएंगे तो यह देश के लिए अच्छा नहीं है।'