डेस्क न्यूज़- भारतीय सेना को 12 स्वदेशी रुप से विकसित शॉर्ट स्पैन ब्रिजिंग सिस्टम मिला है। यानी अब पाकिस्तान से लगी पश्चिमी सीमाओं पर ऑपरेशन के लिए स्वदेशी पुल मिलने से सेना को बड़ी राहत मिलेगी। छोटी अवधि की ब्रिजिंग प्रणाली छोटी नदियों और नहरों जैसी भौगोलिक बाधाओं के माध्यम से सेना को सुविधा प्रदान करेगी। 10-10 मीटर यानी छोटे पुल के ये 12 ब्रिजिंग सिस्टम पाकिस्तान से लगी पश्चिमी सीमाओं पर संचालन के लिए होंगे। डीआरडीओ प्रमुख डॉ जी सतीश रेड्डी और सेना प्रमुख एमएम नरवणे की मौजूदगी में यह सिस्टम सेना को सौंपा गया।
कोर ऑफ इंजीनियर्स में 492 करोड़ रुपये की लागत से पहले 12 स्वदेशी शॉर्ट स्पैन ब्रिजिंग सिस्टम विकसित किए गए हैं। सेना के एक अधिकारी ने कहा कि शॉट ब्रिजिंग सिस्टम के जरिए किसी भी बाधा को दूर किया जा सकता है। यह 70 टन तक पानी ले जाने में सक्षम है। यह सिस्टम कोर ऑफ इंजीनियर्स की मौजूदा ब्रिजिंग क्षमता को कई गुना बढ़ा देता है।
सेना प्रमुख नरवणे ने कहा, "यह आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की दिशा में पहला और सफल कदम है। मैं इसे बनाने वाले सभी लोगों की सराहना करता हूं। इस प्रणाली को सेना में शामिल करने से और अधिक शक्ति बढ़ेगी। इस प्रणाली को सेना में शामिल करने के बाद, डीआरडीओ प्रमुख डॉ जी सतीश रेड्डी ने कहा कि इस प्रणाली को डीआरडीओ और सेना की मदद से विकसित किया गया है। फिलहाल कोलार में इसका परीक्षण चल रहा है। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स ने इसके लिए टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की है। इसके लिए आगे की तैयारी और विचार चल रहा है।