जम्मू-कश्मीर में एक महीने पहले रिकॉर्ड छापेमारी में मिले सबूतों के आधार पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अब जमात-ए-इस्लामी (जेईआई) से जुड़े आतंकी फंडिंग मामले को मजबूत करने का काम कर रही है। इन सबूतों के आधार पर जांच एजेंसी ने 15 संदिग्धों की पहचान की है, जिनसे पिछले चार-पांच दिनों में एनआईए मुख्यालय में कई बार पूछताछ की जा चुकी है।
8 और 9 अगस्त को, एनआईए ने जम्मू और कश्मीर के 14 जिलों, श्रीनगर, बडगाम, गांदरबल, बारामूला, कुपवाड़ा, शोपियां, अनंतनाग, पुलवामा, कुलगाम, रामबन, डोडा, किश्तवाड़ और राजौरी में जमात कैडर से संबंधित 61 स्थानों पर छापेमारी की। इस दौरान कई संदिग्ध दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए गए। एनआईए के एक अधिकारी के मुताबिक करीब एक महीने तक इन सबूतों की जांच करने के बाद अब जांच एजेंसी ने फंडिंग नेटवर्क के सभी सिरे पकड़ लिए है, बस अब पूरे मामले के हर पहलू को पुख्ता तरीके से तैयार किया जा रहा है ताकि दोषियों को कानूनी शिकंजे से निकलने का कोई रास्ता न मिल सके।
एनआईए अधिकारी ने जानकारी दी की जेईआई से जुड़े इन संदिग्धों से एक हफ्ते और पूछताछ की जाएगी। उन्होंने कहा, 'यह केवल प्राथमिक जांच है और हम मामले को आगे पुख्ता तरीके से तैयार करने में जुटे हुए हैं।'
केंद्र सरकार ने गैरकानूनी गतिविधि निवारण अधिनियम (यूएपीए) के तहत जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगा दिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 28 फरवरी 2019 को राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के चलते इस संगठन को प्रतिबंधित कर दिया था। एनआईए ने इसी वर्ष 5 फरवरी को गृह मंत्रालय के जेईआई की गतिविधियों से जुड़े आदेश के आधार पर मामला दर्ज करने के बाद जांच शुरू की थी।
एनआईए की जांच – पड़ताल के दौरान सामने आया था कि जमात-ए-इस्लामी के सदस्य देश-विदेश में धार्मिक कार्यों के लिए जरूरत के नाम पर जकात, मावदा और बैत-उल-मल के रूप में फंड जुटाते हैं, लेकिन यह फंड हिंसक और अलगाववादी गतिविधियों में इस्तेमाल करने के लिए आतंकियों तक पहुंचाया जा रहा है। जांच में जेईआई से इस फंड के हिज्ब-उल-मुजाहिदीन, लश्कर-ए-ताइबा और अन्य भारत विरोधी आतंकी संगठनों तक पहुंचने की जानकारी मिली है। इसके साथ ही जेईआई द्वारा कश्मीरी युवाओं को भड़काने और अलगाववादी गतिविधियों में भाग लेने के लिए भर्ती अभियान चलाने की भी जानकारी मिली है।