केंद्र सरकार के खिलाफ 19 विपक्षी दलों का 11 दिवसीय धरना आज से शुरू, कृषि कानूनों सहित इन मुद्दों पर केंद्र को घेरने का प्लान

केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ सोमवार से देश भर में 19 विपक्षी दल विरोध प्रदर्शन करने जा रहे हैं। यह प्रदर्शन सितंबर के अंत तक 11 दिनों तक चलेगा। वहीं, इस प्रदर्शन को लेकर विपक्षी नेताओं ने कहा कि इसकी रूपरेखा अपनी पार्टी से संबंधित राज्य इकाइयों द्वारा तैयार की जाएगी।
केंद्र सरकार के खिलाफ 19 विपक्षी दलों का 11 दिवसीय धरना आज से शुरू, कृषि कानूनों सहित इन मुद्दों पर केंद्र को घेरने का प्लान

डेस्क न्यूज़- केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ सोमवार से देश भर में 19 विपक्षी दल विरोध प्रदर्शन करने जा रहे हैं। यह प्रदर्शन सितंबर के अंत तक 11 दिनों तक चलेगा। वहीं, इस प्रदर्शन को लेकर विपक्षी नेताओं ने कहा कि इसकी रूपरेखा अपनी पार्टी से संबंधित राज्य इकाइयों द्वारा तैयार की जाएगी। विपक्षी नेताओं ने कहा कि इस दौरान हम कोरोना प्रोटोकॉल का पूरा ध्यान रखेंगे।

20 से 30 सितंबर तक पूरे देश में विरोध प्रदर्शन

आपको बता दें कि अगस्त में हुई वर्चुअल बैठक में विपक्षी दलों ने 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए एकजुट होकर आगे बढ़ने पर जोर दिया था। इन दलों के नेताओं ने केंद्र के समक्ष 11 सूत्री मांगों का चार्टर भी जारी किया था। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई वर्चुअल बैठक के बाद नेताओं ने एक संयुक्त बयान में कहा कि हम 20 से 30 सितंबर, 2021 तक देश भर में संयुक्त रूप से विरोध प्रदर्शन करेंगे।

इन मुद्दों लेकर किया जाएगा प्रदर्शन

विपक्षी दलों की मांगों में तीन नए कृषि कानूनों को निरस्त करना, पेगासस हैकिंग विवाद की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच, जम्मू-कश्मीर में जल्द चुनाव के साथ सभी राजनीतिक कैदियों की रिहाई और राफेल सौदे की उच्च स्तरीय जांच शामिल है। वहीं, एक संयुक्त बयान देने से पहले विपक्षी नेताओं ने कहा कि 19 विपक्षी दलों के नेता भारत के लोगों से इस अवसर पर अपनी धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, गणतंत्र प्रणाली की रक्षा के लिए अपनी पूरी ताकत से खड़े होने का आह्वान करते हैं। लोगों से ये अपील करेंगे कि खड़े हो जाओ आज भारत बचाओ, ताकि हम इसे बेहतर कल के लिए बदल सकें।

विपक्ष ने सरकार पर लगाए आरोप

विपक्षी नेताओं ने संसद के मानसून सत्र को अचानक समाप्त करने के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया। नेताओं ने पेगासस मुद्दे, नए कृषि कानूनों, मुद्रास्फीति, मूल्य वृद्धि, बेरोजगारी और कोरोनो महामारी के कथित प्रबंधन पर बातचीत नहीं करने का आरोप लगाया। साथ ही उन्होंने कोरोना महामारी की तीसरी लहर को रोकने के लिए टीकाकरण अभियान को तत्काल तेज करने की मांग की।

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