डेस्क न्यूज़- सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पेगासस जासूसी मामले की स्वतंत्र जांच का आदेश जारी किया। इसके तहत शीर्ष अदालत ने तीन सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया है। इसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश आरवी रवींद्रन करेंगे। इसके अलावा इस समिति के अन्य सदस्य आलोक जोशी और संदीप ओबेरॉय होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने समिति को आरोपों की पूरी तरह से जांच करने और अदालत के समक्ष अपनी रिपोर्ट पेश करने के लिए आठ सप्ताह का समय दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पेगासस की सत्यता की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निजता के अधिकार के उल्लंघन की जांच होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि भारत के नागरिकों की निगरानी में किसी विदेशी एजेंसी का शामिल होना गंभीर चिंता का विषय है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे में केंद्र द्वारा कोई विशिष्ट खंडन नहीं है, इसलिए हमारे पास याचिकाकर्ता की दलीलों को प्रथम दृष्टया स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है और हम एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त करते हैं जिसका काम सर्वोच्च न्यायालय द्वारा देखा जाएगा।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने जारी किया था। पीठ में मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली शामिल थे। वहीं, पेगासस जासूसी मामले की जांच को लेकर 12 याचिकाएं दायर की गई थीं। इनमें एडवोकेट एमएल शर्मा, माकपा सांसद जॉन ब्रिटास, पत्रकार एन राम, आईआईएम के पूर्व प्रोफेसर जगदीप चोककर, नरेंद्र मिश्रा, परंजॉय गुहा ठाकुरता, रूपेश कुमार सिंह, एसएनएम आब्दी, पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया शामिल हैं।
आपको बता दें कि इससे पहले 13 सितंबर को पेगासस जासूसी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने साफ कर दिया था कि वह इस मामले में हलफनामा दाखिल नहीं करने जा रही है। सरकार ने कहा था कि यह सार्वजनिक चर्चा का विषय नहीं है, इसलिए हलफनामा दाखिल नहीं कर सकती। लेकिन वह जासूसी के आरोपों की जांच के लिए एक पैनल गठित करने के लिए तैयार हो गई है।